उलमा-ए-ज़िंदानी
रोचक तथ्य
Shibli was in Bombay at the time when a mosque was demolished in Kanpur during the British rule in India. The moment he got this news he penned this Nazm.
मसाजिद की हिफ़ाज़त के लिए पुलिस की हाजत है
ख़ुदा को आप ने मश्कूर फ़रमाया इनायत है
अजब क्या है कि अब हर शाह-राह से ये सदा आए
मुझे भी कम से कम इक ग़ुस्ल-ख़ाने की ज़रूरत है
पिन्हाई जा रही हैं आलिमान-ए-दीं को ज़ंजीरें
ये ज़ेवर सय्यद-ए-सज्जाद-आली की विरासत है
यही दस बीस अगर हैं कुश्तागान-ए-ख़ंजर-अंदाज़ी
तो मुझ को सुस्ती-ए-बाज़ू-ए-क़ातिल की शिकायत है
शहीदान-ए-वफ़ा के क़तरा-ए-ख़ूँ काम आएँगे
उरूस-ए-मस्जिद-ए-ज़ेबा को अफ़्शाँ की ज़रूरत है
अजब क्या है जो नौ-ख़ेज़ों ने सब से पहले जानें दीं
कि ये बच्चे हैं इन को जल्द सो जाने की आदत है
शहीदान-ए-वफ़ा की ख़ाक से आई हैं आवाज़ें
कि शिबली बम्बई में रह के महरूम-ए-सआदत है
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