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वतन की लगन

सीमाब अकबराबादी

वतन की लगन

सीमाब अकबराबादी

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    हिन्द मेरा चमन

    इस में हूँ मैं मगन

    है इसी की लगन

    राहत-ए-जान-ओ-तन

    मेरा प्यारा वतन

    मेरी इज़्ज़त है ये

    मेरी दौलत है ये

    मेरी अज़्मत है ये

    मेरी जन्नत है ये

    मेरा प्यारा वतन

    हिन्द की ख़ाक से

    फूल क्या क्या उगे

    लाल पीले हरे

    मस्तियों में बसे

    मेरा प्यारा वतन

    इस के दरिया बड़े

    ताज़गी से भरे

    बाग़ फूले फले

    लहलहाते हुए

    मेरा प्यारा वतन

    इस के चश्मे जवाँ

    इस में नहरें रवाँ

    जंगल और वादियाँ

    इस से अच्छी कहाँ

    मेरा प्यारा वतन

    ये वतन है मिरा

    मैं हूँ इस पर फ़िदा

    इस पे रक्खे ख़ुदा

    अपनी रहमत सदा

    मेरा प्यारा वतन

    देस की आस हूँ

    देस के पास हूँ

    इस की बू-बास हूँ

    देस का दास हूँ

    मेरा प्यारा वतन

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