मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी के श्रेष्ठ और प्रसिद्ध मज़ाहिया उद्धरण
यूसुफ़ी का नाम आते ही
होंठों पर मुस्कुराहट और हंसी तैरने लगती है। यूसुफ़ी उन लोगों में से हैं जिन्होंने उर्दू में सबसे अधिक लोकप्रिय और श्रेष्ठ हास्य लिखा है। यहाँ हम आपके लिए यूसुफ़ी के हास्य-लेखन से चुनिंदा कथनों को प्रस्तुत कर रहे हैं। आप इन कथनों और उद्धरणों को पढ़िए और यूसुफ़ी के श्रेष्ठ हास्य का आनंद लीजिए।

लाहौर की बाअ्ज़ गलियाँ इतनी तंग हैं कि अगर एक तरफ़ से औरत आ रही हो और दूसरी तरफ़ से मर्द तो दरमियान में सिर्फ़ निकाह की गुंजाइश बचती है।
-
टैग्ज़ : लाहौरऔर 2 अन्य

मर्द की आँख और औरत की ज़बान का दम सबसे आख़िर में निकलता है।
-
टैग्ज़ : मर्दऔर 1 अन्य

मूंगफली और आवारगी में ख़राबी यह है कि आदमी एक दफ़ा शुरू कर दे तो समझ में नहीं आता, ख़त्म कैसे करे।
-
टैग : हास्य

ग़ालिब दुनिया में वाहिद शायर है जो समझ में न आए तो दुगना मज़ा देता है।
-
टैग्ज़ : मिर्ज़ा ग़ालिबऔर 3 अन्य

औरतें पैदाइशी मेहनती होती हैं। इसका अंदाज़ा इससे लगा लें कि सिर्फ़ 12 फ़ीसद ख़्वातीन ख़ूबसूरत पैदा होती हैं, बाक़ी अपनी मेहनत से यह मुक़ाम हासिल करती हैं।
-
टैग्ज़ : सुंदरताऔर 1 अन्य

मुसलमान हमेशा एक अमली क़ौम रहे हैं। वो किसी ऐसे जानवर को मुहब्बत से नहीं पालते जिसे ज़िब्ह कर के खा ना सकें।
-
टैग्ज़ : जानवरऔर 3 अन्य

जो मुल़्क जितना ग़ुर्बत-ज़दा होगा उतना ही आलू और मज़हब का चलन ज़्यादा होगा।
-
टैग्ज़ : ग़रीबीऔर 2 अन्य

जवान लड़की की एड़ी में भी आँखें होती हैं। वह चलती है तो उसे पता होता है कि पीछे कौन, कैसी नज़रों से देख रहा है।
-
टैग्ज़ : मर्दऔर 1 अन्य

मर्द इश्क़-ओ-आशिक़ी सिर्फ़ एक मर्तबा करता है, दूसरी मर्तबा अय्याशी और उसके बाद निरी अय्याशी।

गाली, गिन्ती, सरगोशी और गंदा लतीफ़ा तो सिर्फ़ अपनी मादरी ज़बान में ही मज़ा देता है।
-
टैग्ज़ : मातृ भाषाऔर 1 अन्य


प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक में मरने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि मरहूम की जायदाद, जमा-जत्था और बैंक बैलेंस के बंटवारे पर पसमानदगान में ख़ून-ख़राबा नहीं होता, क्योंकि सब डॉक्टरों के हिस्से में आ जाता हैं।
-
टैग्ज़ : मेडिकलऔर 4 अन्य

जब शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पीने लगें तो समझ लो कि शेर की नीयत और बकरी की अक़्ल में फ़ितूर है।
-
टैग : हास्य

घोड़े और औरत की ज़ात का अंदाज़ा उसकी लात और बात से किया जाता है।
-
टैग्ज़ : व्यंग्यऔर 1 अन्य


बुढ़ापे की शादी और बैंक की चौकीदारी में ज़रा फ़र्क़ नहीं। सोते में भी आँख खुली रखनी पड़ती है।
-
टैग्ज़ : बैंकऔर 2 अन्य

मर्द की पसंद वो पुल-सिरात है जिस पर कोई मोटी औरत नहीं चल सकती।
-
टैग्ज़ : मर्दऔर 2 अन्य

हमारी गायकी की बुनियाद तब्ले पर है, गुफ़्तगू की बुनियाद गाली पर।
-
टैग्ज़ : गायनऔर 4 अन्य

औरत की एड़ी हटाओ तो उसके नीचे से किसी न किसी मर्द की नाक ज़रूर निकलेगी।
-
टैग्ज़ : मर्दऔर 2 अन्य


इस ज़माने में सौ फ़ी सद सच्च बोल कर ज़िंदगी करना ऐसा ही है जैसे बज्री मिलाए बग़ैर सिर्फ सिमेंट से मकान बनाना।
-
टैग्ज़ : मूल्यऔर 5 अन्य

सुबह उस वक़्त नहीं होती जब सूरज निकलता है। सुबह उस वक़्त होती है जब आदमी जाग उठे।

मुसलमान लड़के हिसाब में फ़ेल होने को अपने मुसलमान होने की आसमानी दलील समझते हैं।
-
टैग्ज़ : गणितऔर 3 अन्य

जितना वक़्त और रुपया बच्चों को “मुस्लमानों के साईंस पर एहसानात” रटाने में सर्फ़ किया जाता है, दसवाँ हिस्सा भी बच्चों को साईंस पढ़ाने में सर्फ़ किया जाए तो मुसलमानों पर बड़ा एहसान होगा।

आज़ाद शायरी की मिसाल ऐसी है जैसे बग़ैर नेट टेनिस खेलना।
-
टैग्ज़ : व्यंग्यऔर 2 अन्य



हमारा अक़ीदा है कि जिसे माज़ी याद नहीं रहता उसकी ज़िंदगी में शायद कभी कुछ हुआ ही नहीं, लेकिन जो अपने माज़ी को याद ही नहीं करना चाहता वो यक़ीनन लोफ़र रहा होगा।
-
टैग्ज़ : अतीतऔर 1 अन्य


आदमी एक-बार प्रोफ़ेसर हो जाए तो उम्र-भर प्रोफ़ेसर ही रहता है, ख़ाह बाद में समझदारी की बातें ही क्यों न करने लगे।

बे-सबब दुश्मनी और बदसूरत औरत से इश्क़ हक़ीक़त में दुश्मनी और इश्क़ की सबसे न-खालिस क़िस्म है। यह शुरू ही वहां से हुई हैं जहाँ अक़्ल ख़त्म हो जावे है।
-
टैग्ज़ : लवऔर 3 अन्य



गाने वाली सूरत अच्छी हो तो मोहमल शेअर का मतलब भी समझ में आ जाता है।
-
टैग्ज़ : गायनऔर 2 अन्य

बढ़िया सिगरेट पीते ही हर शख़्स को मुआ'फ़ कर देने को जी चाहता है... ख़्वाह वो रिश्तेदार ही क्यों न हो।

शेर, हवाई जहाज़, गोली, ट्रक और पठान रिवर्स गियर में चल ही नहीं सकते।
-
टैग्ज़ : व्यंग्यऔर 1 अन्य


किसी ख़ूबसूरत औरत के मुतअ'ल्लिक़ ये सुनता हूँ कि वो पारसा भी है तो न जाने क्यों दिल बैठ सा जाता है।

जो शख़्स कुत्ते से भी न डरे उसकी वलदियत में शुब्हा है।
-
टैग्ज़ : कुत्ताऔर 2 अन्य

ईजाद और औलाद के लच्छन पहले ही से मालूम हो जाया करते तो दुनिया में न कोई बच्चा होने देता और न ईजाद।

सच तो ये है कि हुकूमतों के अ'लावा कोई भी अपनी मौजूदा तरक़्क़ी से मुत्मइन नहीं होता।

बंदर में हमें इसके इलावा और कोई ऐब नज़र नहीं आता कि वो इन्सान का जद्द-ए-आला है।
-
टैग्ज़ : जानवरऔर 4 अन्य

इससे ज़ियादा बद-नसीबी और क्या होगी कि आदमी एक ग़लत पेशा अपनाए और उसमें कामयाब होता चला जाए।

ताअन-ओ-तशनीअ से अगर दूसरों की इस्लाह हो जाती तो बारूद ईजाद करने की ज़रूरत पेश न आती।
-
टैग्ज़ : व्यंग्यऔर 3 अन्य

उम्र-ए-तबीई तक तो सिर्फ़ कव्वे, कछुवे, गधे और वो जानवर पहुंचते हैं जिनका खाना शर्अ़न हराम है।
-
टैग्ज़ : जानवरऔर 3 अन्य


बात ये है कि घरेलू बजट के जिन मसाइल पर मैं सिगरेट पी पी कर ग़ौर किया करता था, वो दर-अस्ल पैदा ही कसरत-ए-सिगरेट-नोशी से हुए थे।

आप राशी, ज़ानी और शराबी को हमेशा ख़ुश-अख़्लाक़, मिलनसार और मीठा पाएँगे। इस वास्ते कि वह नख़्वत, सख़्त गिरी और बद-मिज़ाजी अफोर्ड ही नहीं कर सकते।
-
टैग्ज़ : व्यंग्यऔर 1 अन्य

होम्योपैथी का बुनियादी उसूल ये है कि छोटा मरज़ दूर करने के लिए कोई बड़ा मरज़ खड़ा कर दो। चुनाँचे मरीज़ नज़ले की शिकायत करे तो दवा से निमोनिया के असबाब पैदा कर दो। फिर मरीज़ नज़ले की शिकायत नहीं करेगा। होम्योपैथी की करेगा।

बीती हुई घड़ियों की आरज़ू करना ऐसा ही है जैसे टूथपेस्ट को वापिस ट्यूब में घुसाना।