अभिनंदन पांडे के शेर
ग़ौर से देखते रहने की सज़ा पाई है
तेरी तस्वीर इन आँखों में उतर आई है
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सवाल आ गए आँखों से छिन के होंटों पर
हमें जवाब न देने का फ़ाएदा तो मिला
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नस्ल-ए-आदम रफ़्ता रफ़्ता ख़ुद को कर लेगी तबाह
इतनी सख़्ती से क़यामत पेश आएगी न पूछ
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दरमियाँ जो जिस्म का पर्दा है कैसे होगा चाक
मौत किस तरकीब से हम को मिलाएगी न पूछ
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टैग : विसाल
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