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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Anwar Jalalpuri's Photo'

अनवर जलालपुरी

1947 - 2018 | जलालपुर, भारत

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

अनवर जलालपुरी के शेर

मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीर

अपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिख्खा मैं ने

कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या है

ज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर हम उड़ा देंगे

सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अना

पुकारूँ किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा

मुसलसल धूप में चलना चराग़ों की तरह जलना

ये हंगामे तो मुझ को वक़्त से पहले थका देंगे

अब नाम नहीं काम का क़ाएल है ज़माना

अब नाम किसी शख़्स का रावन मिलेगा

वो जिस को पढ़ता नहीं कोई बोलते सब हैं

जनाब-ए-'मीर' भी कैसी ज़बान छोड़ गए

चाहो तो मिरी आँखों को आईना बना लो

देखो तुम्हें ऐसा कोई दर्पन मिलेगा

जाने क्यूँ अधूरी ही मुझे तस्वीर जचती है

मैं काग़ज़ हाथ में लेकर फ़क़त चेहरा बनाता हूँ

मैं ने लिख्खा है उसे मर्यम सीता की तरह

जिस्म को उस के अजंता नहीं लिख्खा मैं ने

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