इक़बाल अशहर
ग़ज़ल 16
नज़्म 1
अशआर 20
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई
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तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से
तू ने ख़ुश्बू मिरे लहजे में बसा रक्खी है
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फिर तिरा ज़िक्र किया बाद-ए-सबा ने मुझ से
फिर मिरे दिल को धड़कने के बहाने आए
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मुद्दतों ब'अद पशेमाँ हुआ दरिया हम से
मुद्दतों ब'अद हमें प्यास छुपानी आई
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चित्र शायरी 4
वीडियो 19
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