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क़तआ'त

गज़ल में कभी कभी बीच में दो-तीन ऐसे अशआर लाये जाते हैं जिन में कोई बात निरंतरता के साथ बयान की जाती है। ये चंद अशआर ग़ज़ल के शेरों से अलग होते हैं, इस लिए इन्हें क़तअ कहते हैं। जिस ग़ज़ल में क़तअ हो उसे क़तअ-बंद ग़जल कहा जाता है।

1846 -1921

उर्दू में हास्य-व्यंग के सबसे बड़े शायर , इलाहाबाद में सेशन जज थे।

1925

पूर्वाधुनिक शायर, नज़्म और ग़ज़ल दोनों विधाओं में शायरी की; बच्चों के लिए भी बेहतरीन नज़्में लिखीं

1909 -1988

व्यंग युक्त भावनात्मक तीक्ष्णता के लिए प्रख्यात

1920 -1958

शायर और साहित्यिक पत्रकार, ‘नशेमन’, ‘मशरिक़’ और ‘नई क़द्रें’ जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया. पद्य गद्य में कई कई किताबें प्रकाशित हुईं

1940 -1998

शायर और गद्यकार, अपने क़तआत और लम्बी नज़्मों के लिए विख्यात

1905 -1948

सबसे लोकप्रिय उर्दू शायरों में से एक। गहरी रूमानी शायरी के लिए प्रसिद्ध

1974

शोधकर्ता और शायर, अपनी नज़्म "सोचने पे पहरा है" के लिए मशहूर/ प्रोफ़ेसर जेएनयू

1962

मुशायरों की लोकप्रिय कवयित्री

1978

हिन्दुस्तान की नई पीढ़ी के मशहूर शायर

1980

पाकिस्तान की नई पीढ़ी के मशहूर शायर, ‘मैं किसी दास्तान से उभरूँगा’ इनके काव्य संग्रह का नाम है

1935

उपमहाद्वीप में हास्य-व्यंग्य के प्रमुख शायर

1909 -1981

लोकप्रिय शायर, ज़िंदगी और मोहब्बत से संबंधित रुमानी शायरी के लिए विख्यात।

1961

प्रख्यात पाकिस्तानी शायर जो मुशायरों में भी लोकप्रिय हैं।

1944 -2023

मशहूर शायर और पाकिस्तानी टीवी सीरियलों के प्रसिद्ध लेखक

1930 -2019

कलकत्ता के प्रसिद्ध शायर. ग़ज़ल, नज़्म और रुबाई जैसी विधाओं में रचनाएं की. बच्चों के लिए लिखी नज़्मों के कई संग्रह प्रकाशित हुए. कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रहे

1877 -1938

महान उर्दू शायर, पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीतों की रचना की

1913 -2000

अग्रणी प्रगतिशील शायरों में शामिल/आलोचक, बुद्धिजीवी और साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ़्तुगू’ के संपादक/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित/उर्दू शायरों पर टीवी सीरियलों के निर्माता

1911 -1955

अग्रणी एवं प्रख्यात प्रगतिशील शायर, रोमांटिक और क्रांतिकारी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध, ऑल इंडिया रेडियो की पत्रिका “आवाज” के पहले संपादक, मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर के मामा

1956

हास्य-व्यंग्य के मशहूर शायर

1916 -2006

पाकिस्तान के शीर्ष प्रगतिशील शायर/कहानीकारों में भी महत्वपूर्ण स्थान/सआदत हसन मंटो के समकालीन

1923 -2002

शायर, गीतकार, संस्थापक संपादक त्रैमासिक '' सवेरा ''

1920 -1975

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

1972

मज़ाहिया शायरों में शामिल, ‘अन्दाज़-ए-बयां’ नाम से काव्य संग्रह प्रकाशित

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