aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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उर्दू ग़ज़लों का विशाल संग्रह

आहटों पर कान जब धरने लगे

अमीर हम्ज़ा साक़िब

आज उल्फ़त की पुरानी इक कहानी याद आई

धर्वेन्द्र सिंह बेदार

अब कहाँ का जुनूँ कि मर रहिए

अमीर हम्ज़ा साक़िब

'अहद-ए-शबाब मौसम-ए-ख़ंदाँ है और हम

बिशन दयाल शाद देहलवी

बदन धूप में तप के काले हुए हैं

धर्वेन्द्र सिंह बेदार

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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