aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आया ततहीर
अनुवादक
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामीफिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँअगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
क़ातिल शायरी
Mazameen-e-Farhat
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
लेख
शुमरा नम्बर-077
अजमल कमाल
आज
Aye Ishq-e-Junoon Pesha
अहमद फ़राज़
Gabriel Garcia Marquez : Shumara Number-007
Khazain-ul-Adviya
नजमुल ग़नी ख़ान नजमी रामपुरी
शब्द-कोश
Ghalib Number: Shumara Number-007, 008
मोहम्मद हुसैन शम्स अल्वी
फ़रोग़-ए-उर्दू, लखनऊ
Shumara Number-007
यूसुफ़ देहलवी
Jul 1950शमा, नई दिल्ली
Alf Laila-o-Laila
दास्तान
Aap Beeti Number : Shumara Number-007
कालीदास गुप्ता रज़ा
फ़न और शख़्सियत
Zindagi Aye Zindagi
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
काव्य संग्रह
Al-Hilal
अबुल कलाम आज़ाद
पत्रिका
Tazkirat-ul-Auliya-e-Abul Ulaiya
काज़िम अली ख़ाँ आग़ा
तज़किरा
फ़रीद फ़ारूक़ी
Jan 2014ख़ातून-ए-मशरिक़
उर्दू लुग़त तारीख़ी उसूल पर
मिर्ज़ा नसीम बेग
कवाइफ़ नम्बर: शुमारा नम्बर-027-030
साबिर दत्त
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया थाफिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला
बस मुझे यूँही इक ख़याल आयासोचती हो तो सोचती हो क्या
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दरहर सदा पर बुलाती रही रात भर
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया हैकिस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़रज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे
रात भर पिछली सी आहट कान में आती रहीझाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था
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