aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اسم_اعظم"
एम आलम
लेखक
असद यार खाँ अाज़म
संपादक
रईस आज़म अलम बरेलवी
मतबा मुफ़ीद-ए-आम, आगरा
पर्काशक
रफ़ीक़-ए-आम प्रेस, लाहौर
मुफ़ीद-ए-आम प्रेस, सियालकोट
मतबा मुफ़ीद-ए-आम, लाहौर
मन्ज़ूरे-आ़म कुतुब ख़ाना, पेशावर
मतबूआ रिफ़ाह-ए-आम स्टीम प्रेस, लाहौर
फ़ैज़-ए-आम, बैंगलौर
रिफ़ाह-ए-आम, सियालकोट
मुफ़ीद-ए-आम प्रेस, दिल्ली
गुलज़ार-ए-आम प्रेस, लाहौर
रिफ़ाह-ए-आम प्रेस, आगरा
फैज़-ए-आम प्रेस, मेरठ
इस्म-ए-आज़म की रट लगाता हूँभेजा अल्लाह का मैं खाता हूँ
इस्म-ए-आज़मबहुत अच्छा हुआ था माँ ने मिरी
मेरा नामइस्म-ए-आज़म बन गया है
इस्म-ए-आज़म भी मिरे साथ सफ़र करता हैमेरी कश्ती में जो बैठेगा अमाँ पाएगा
लोगों को निन्नयानवे के फेरे में डाल रक्खा है तुम नेमुर्शिदों से इस्म-ए-आज़म पूछते पूछते बेहाल हो जाते हैं
ज्ञानपीठ से पुरस्कृत उर्दू किताबें.
हम आम तौर पर दुश्मन से दुश्मनी के जज़्बे से ही वाबस्ता होते हैं लेकिन शायरी में बात इस से बहुत आगे की है। एक तख़्लीक़-कार दुश्मन और दुश्मनी को किस तौर पर जीता है, उस का दुश्मन उस के लिए किस क़िस्म के दुख और किस क़िस्म की सहूलतें पैदा करता है इस का एक दिल-चस्प बयान हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब है। हमारे इस इन्तिख़ाब को पढ़िए और अपने दुश्मनों से अपने रिश्तों पर अज़-सर-ए-नौ ग़ौर कीजिए।
दो इन्सानों का बे-ग़रज़ लगाव एक अज़ीम रिश्ते की बुनियाद होता है जिसे दोस्ती कहते हैं। दोस्त का वक़्त पर काम आना, उसे अपना राज़दार बनाना और उसकी अच्छाइयों में भरोसा रखना वह ख़ूबियाँ हैं जिन्हें शायरों ने खुले मन से सराहा और अपनी शायरी का मौज़ू बनाया है। लेकिन कभी-कभी उसकी दग़ाबाज़ियाँ और दिल तोड़ने वाली हरकतें भी शायरी का विषय बनी है। दोस्ती शायरी के ये नमूने तो ऐसी ही कहानी सुनाते है।
इस्म-ए-आज़मاسم اعظم
highest name
Ism-e-Aazam
शहरयार
काव्य संग्रह
Mukammal Ism-e-Azam
जावेद शाह हिन्दी
Asrar-e-Kalamullah Aur Asrar-e-Ism-e-Azam
ख़्वाजा हसन निज़ामी
इस्म-ए-आज़म की तलाश
आसिफ़ फर्ऱुखी
अफ़साना
Asrar-e-Aazam Ka Sharyi Faisla
सय्यद हसन
Pagal Doctor
Naqli Nawab
नॉवेल / उपन्यास
Shaitan Ki Nani
Ilm-e-Aam
जमील मोहम्मद ख़ाँ
Adab Akkas-e-Hayat
मज़ामीन / लेख
Aasan Arooz
डॉक्टर आज़म
छंदशास्र
Alfaz, Talaffuz Aur Aroozi Auzan
Aam Maloomat
डॉ. ज़ियाउद्दीन
Aham Siyasi Mufakkireen
मोहम्मद सिदीक़ क़ुरैशी
Aam Lisaniyat
ज्ञान चंद जैन
भाषा
फिर सदा तंग-ओ-तारीक ग़ारों से उभरीता-ब-हद्द-ए-नज़र
वजूद-ए-इन्सान शिर्के-ए-आ’ज़म ये एक नुक्ता है ‘इस्म-ए-आ’ज़म’
سب کے نزدیک اسم اعظم ہےیہ سب اوراد پر مقدم ہے
شاد اس نام سے جو خوگر ہےاسم اعظم یہی مقرر ہے
इस्म-ए-आज़म की तरहविर्द-ए-ज़बाँ था कोई
इस्म-ए-आज़म और क्यासिर्फ़ आप ही का नाम
मोहब्बत इस्म-ए-आज़म हैमोहब्बत ही तो ज़मज़म है
दर खोलने का इस्म-ए-आज़म हैवही इक नाम
कोई भी इस्म-ए-आज़म अबहमारी मुश्किलें आसाँ नहीं करता
मुझे मालूम थानौ के अदद में इस्म-ए-आज़म है
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