aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रूपए"
आरसी
शायर
रूपा मेहता नग़मा
लेखक
रूपम कुमार मीत
born.2000
रूप साग़र
born.1982
रूप कृष्ण भट
रूपा एण्ड कम्पनी, दिल्ली
पर्काशक
रूप सांवरे नौलखी
रूप नरायण चाँद ना रूप
रूप मलिक
रूप पब्लिशर्स, कराची
रूप कुमार राठौड़
born.1973
कलाकार
रूप कुँवारी
जब हमने इंटरेन्स पास किया तो मक़ामी स्कूल के हेड मास्टर साहब ख़ास तौर से मुबारकबाद देने के लिए आये। क़रीबी रिश्तेदारों ने दा’वतें दीं। मोहल्ले वालों में मिठाई बांटी गयी और हमारे घर वालों पर यक लख़्त इस बात का इंक्शाफ़ हुआ कि वह लड़का जिसे आज तक अपनी...
इस मक़ाम पर एक तीसरे साहब ने (जिन से मैं वाक़िफ़ नहीं) “रूए-सुख़न किसी तरफ़ हो तो रू-सियाह”वाले लहजे में नेक नियती और साफ़ दिली का तजज़िया करते हुए फ़रमाया कि बा'ज़ लोग अपनी पैदाइशी बुज़्दिली के सबब तमाम उम्र गुनाहों से बचते रहते हैं। इसके बरअ'क्स बा'ज़ों के दिल-ओ-दिमाग़...
मैंने कहा, ‘‘मिर्ज़ा जहाँ तक मुझे मा’लूम है तुमने स्कूल और कॉलेज और घर पर दो तीन ज़बानें सीखी हैं और इसके अ’लावा तुम्हें कई ऐसे अल्फ़ाज़ भी आते हैं जो किसी स्कूल या कॉलेज या शरीफ़ घराने में नहीं बोले जाते। फिर भी इस वक़्त तुम्हारा कलाम ‘‘हूँ’’ से...
ख़ुर्दनी चीज़ों के चेहरों से टपकता है लहूरूपये का रंग फ़क़ है अशरफ़ी है ज़र्द-रू
बस फिर क्या था, साहब ताव में आगया और उसने एक और गाली सुना दी। इस पर सरीता के बाप ने ग़ुस्से में आकर साहब की गर्दन पर धौल जमा दी कि उसका टोप दस गज़ पर जा गिरा और उसको दिन में तारे नज़र आगए। मगर फिर भी वो...
क़सीदा एक अरबी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है "नियत और इरादा "। क़सीदा कविता का एक रूप और विधा है जिसमें कवि किसी की प्रशंसा करता है।
नज़्मों का विशाल संग्रह - उर्दू शायरी का एक स्वरुप नज़्म, उर्दू में एक विधा के रूप में, उन्नीसवीं सदी के आख़िरी दशकों के दौरान पैदा हुई और धीरे धीरे पूरी तरह स्थापित हो गई। नज़्म बहर और क़ाफ़िए में भी होती है और इसके बिना भी। अब नसरी नज़्म गद्द-कविता भी उर्दू में स्थापित हो गई है।
ज़ीशान साहिल उर्दू कविता के एक अनोखे और संवेदनशील लहजे के कवि हैं, जिन्होंने आधुनिक दौर की जटिल भावनाओं को सरल लेकिन गहरे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक मौन विरोध, एक तहदार आलोचना, और एक बौद्धिक कोमलता पाई जाती है जो पाठक को झकझोर देती है। उनके यहाँ दुख, ख़ामोशी और समय जैसे विषयों का सौंदर्यपूर्ण चित्रण मुख्य रूप से मिलता है।
रुपएرپئے
rupees
रूपएروپے
रूप रस
क़ुली क़ुतुब शाह
संकलन
Jazbat-e-Aqeedat
महिलाओं की रचनाएँ
रूप की रानी चोरों का राजा
फ़िल्मी-नग़्मे
रूप कामनी
मौलाना तुर्की
मसनवी
नेहरू के अनदेखे रूप
पी. डी. टन्डन
भारत का इतिहास
Urdu For All
भाषा
Parvat Ke Us Paar Ka Sapna
अफ़साना
एक रूपये एक फ़ूल
Phool Aur Kante
उदासी के पाँच रूप
कृष्ण मोहन
Rang-e-Takhayyul
ग़ज़ल
Kuchh Ahein Kuchh Naghme
Kuch to Hansiye
एक थी लड़की
मरवण
मदन गोपाल
शादी से पहले मौलवी अबुल के बड़े ठाठ थे। खद्दर या लट्ठे की तहबंद की जगह गुलाबी रंग की सब्ज़ धारियों वाली रेशमी ख़ोशाबी लुंगी, दो घोड़ा बोस्की की क़मीज़, जिसकी आस्तीनों की चुन्नटों का शुमार सैंकड़ों में पहुँचता था। ऊदे रंग की मख़्मल की वास्कट जिसकी एक जेब में...
कोई भी रुत हो उस की छबफ़ज़ा का रंग-रूप थी
मुझे बेशुमार लोगों का क़र्ज़ अदा करना था और ये सब शराबनोशी की बदौलत था। रात को जब मैं सोने के लिए चारपाई पर लेटता तो मेरा हर क़र्ज़ ख़्वाह मेरे सिरहाने मौजूद होता... कहते हैं कि शराबी का ज़मीर मुर्दा होजाता है, लेकिन मैं आपको यक़ीन दिलाता हूँ कि...
फ़य्याज़ उसके इन ताबड़-तोड़ सवालों का जवाब देते-देते ज़च हो गया। उसने इस सिलसिले को रोकने के लिए ख़ुद यही हर्बा इस्तेमाल करने की सोच ली और ख़ुद उससे सवाल करने शुरू कर दिए। उसे मालूम हुआ कि सरोदिये का नाम हैदरी ख़ाँ है। वो प्यारे ख़ाँ का छोटा भाई...
एक तारीक सा, घिनावना सा कमरा, न कोई बरामदा, न सहन, न ताज़ा हवा, न धूप और फिर हर महीने पूरे साढ़े दस रूपये किराये के ठीक यकुम को अदा न हों तो सेठ के गुमाश्ते की घिरकियाँ और धमकियाँ अलग। लेकिन इसके मुक़ाबले में अब कराची में ज़िंदगी बड़े...
कहने लगे, जहाँ आदाब-ए-महफ़िल का इतना लिहाज़ रखा है, वहाँ इतना और करो कि एक रूपये के नोट अंदर की जेब में डाल लो। हमने पूछा, क्यूँ?...
ड्राइंग रूम में दाख़िल होते ही शेख़ मोहम्मद शम्सुल हक़ साहब क मामू जान क़िबला दीवारों पर क़तार अंदर क़तार आवेज़ाँ तस्वीर-ए-बुताँ को आँखें फाड़-फाड़ के देखने लगे। हर तस्वीर को एक दफ़ा फिर हम पर वो निगाह डालते, जो किसी तरह ग़लत अंदाज़ न थी। जैसी नज़्रों से वो...
कमरे के अंदर दाख़िल होते ही उसने मुझसे कहा, “वेट इज़ वेट... तो तुम आगए ओलड ब्वॉय। चलो ज़रा स्टूडियो तक हो आएं। तुम साथ होगे तो ऐडवान्स मिलने में आसानी हो जाएगी... आज शाम को...” मेरी बीवी पर उसकी नज़र पड़ी तो वो रुक गया और खिलखिला कर हँसने...
दूसरे दिन शाम के वक़्त फिर सैर की तैयारी होने लगी। उस रोज़ मेरा प्रोग्राम राजदा को क्रिस्टल में आइस क्रीम खिलाने का था। चुनाँचे सुबह ही को मैंने अपनी एक डिक्शनरी बेच डाली थी, जिसके एवज़ मुझे छः रूपये बारह आने मिले थे। ये रक़म छः-सात लोगों को आइस...
क़रीब क़रीब हर नर्स उससे मुतनफ़्फ़िर थी, मुझे ख़ुद वो बहुत नापसंद था, मेरे बिस्तर की तरफ़ रुख़ करता तो मैं चादर ओढ़ लेता कि उसको ये मालूम हो कि मैं सो रहा हूँ। उसका बातचीत का अंदाज़ मुझे खलता था, यही वजह है कि मैंने उसे कभी बर्दाश्त न...
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