aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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परिणाम "ahmad mushtaq"
अहमद मुश्ताक़
शायर
मुशताक़ अहमद मुशताक़
मुशताक़ अहमद मुशताक़
1924 - 1995
लेखक
इश्तियाक़ अहमद मुश्ताक़ खलीली
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
1923 - 2018
अहमद मुख़्तार अंसारी
मुख़्तार अहमद मुख़्तार लखनवी
संपादक
अंजुम आज़मी
1931 - 1990
मुख़्तार सब्ज़वारी बदायूनी
मुश्ताक़ अहमद नूरी
मुश्ताक़ अंजुम
मुशताक़ सदफ़
मुशताक़ अहमद
ख़लिश क़ादिरी
1935 - 2000
मुश्ताक़ अहमद वानी
पता अब तक नहीं बदला हमारावही घर है वही क़िस्सा हमारा
इश्क़ में कौन बता सकता हैकिस ने किस से सच बोला है
मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता हैवो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँउसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ
पाकिस्तान के सबसे विख्यात और प्रतिष्ठित आधुनिक शायरों में से एक, अपनी नव-क्लासिकी लय के लिए प्रसिद्ध
हास्य और व्यंग्य असल में समाज की असमानताओं से फूटता है। अगर किसी समाज को सही ढंग से जानना हो तो उस समाज में लिखा गया हास्यात्मक, व्यंग्यात्मक साहित्य पढ़ना चाहिए। उर्दू में भी हास्यात्मक और व्यंग्यात्मक साहित्य की शानदार परंपरा रही है। मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी, पतरस बुख़ारी, रशीद अहमद सिद्दीक़ी और बेशुमार अदीबों ने बेहतरीन हास्यात्मक, व्यंग्यात्मक लेख लिखे हैं। रेख़्ता पर ये गोशा उर्दू में लिखे गए ख़ूबसूरत और मशहूर मज़ाहिया और तन्ज़िया लेखों से आबाद है। पढ़िए और ज़िंदगी को ख़ुशगवार बनाइऐ।
Kulliyat
कुल्लियात
Gard-e-Mahtab
काव्य संग्रह
Aakhein Purani Ho Gayin
Kulliyat-e-Ahmad Mushtaq
Kulliyat Ahmad Mushtaq
Nawa-e-Mushtaq
Aawaz Ki Tasweer
शाइरी
Khaleelul Manaqib
Aab-e-Gum
गद्य/नस्र
ज़रगुज़िश्त
Charagh Tale
लेख
Mushtaq Ahmad Yusufi Ki Adbii Khidmaat
मोहम्मद ताहिर
शोध
Zar Guzasht
आत्मकथा
Sahib-e-Tarz Zarafat Nigar: Mushtaq Ahmad Yousufi Ek Mutala
मज़हर अहमद
शोध एवं समीक्षा
भूल गई वो शक्ल भी आख़िरकब तक याद कोई रहता है
पानी में अक्स और किसी आसमाँ का हैये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है
एक लम्हे में बिखर जाता है ताना-बानाऔर फिर उम्र गुज़र जाती है यकजाई में
ये पानी ख़ामुशी से बह रहा हैइसे देखें कि इस में डूब जाएँ
तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी सेलेकिन वो किसी वक़्त अकेला नहीं होता
एक जुगनू की चमक कैसी है 'मुश्ताक़' अहमदनूर महरूम कोई रात का मारा समझे
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो हैतेरे होने से बड़े काम हमारे निकले
ख़ैर बदनाम तो पहले भी बहुत थे लेकिनतुझ से मिलना था कि पर लग गए रुस्वाई को
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