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ग़ज़ल
दुख दिया है जिस ने दुख उस को बताना चाहिए
दिल पे क्या गुज़री है मेरे ये सुनाना चाहिए
अब्दुल मन्नान तरज़ी
ग़ज़ल
क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम
इक रोज़ सब को करना है अपना सफ़र तमाम
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
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ग़ज़ल
ख़ून जब अश्क में ढलता है ग़ज़ल होती है
जब भी दिल रंग बदलता है ग़ज़ल होती है
अब्दुल मन्नान तरज़ी
नज़्म
तुलू-ए-इस्लाम
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब
मुस्तहिक़ दार के फाँसी के सज़ा-वार हैं सब