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ग़ज़ल
असीरी में तबाही रौनक़-ए-काशाना हो जाए
क़फ़स ही नालों से जल कर चराग़-ए-ख़ाना हो जाए
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
दिल ही था बस में ना वो रश्क-ए-क़मर आज की रात
कुछ अजब ढंग से की हम ने सहर आज की रात
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
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ग़ज़ल
हम को दिलदार अज़ीज़ अपना दिल-ए-ज़ार अज़ीज़
दें न दें जिंस-ए-अज़ीज़ और ख़रीदार अज़ीज़
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
ये इम्तिहान ख़ूब है हुस्न-ए-शबाब का
लेना था दिल भी मुझ से ही ख़ाना-ख़राब का
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
क़तरा-ए-अश्क से तस्कीन-ए-जिगर की उम्मीद
क़ुल्ज़ुम-ए-चश्म से है आब-ए-गुहर की उम्मीद
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
हैरत में भी बाक़ी है मुझे होश-ए-मोहब्बत
आँखें दम-ए-दीदार हैं मय-नोश-ए-मोहब्बत
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
बन के किस शान से बैठा सर-ए-मिंबर वाइ'ज़
नख़वत-ओ-उज्ब हयूला है तो पैकर वाइ'ज़
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
आते हैं लख़्त-ए-जिगर कट कट के मुश्किल से अलग
जू-ए-ख़ूँ आँखों को होती है रवाँ दिल से अलग