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नज़्म
दुआ
ऐ ख़ुदा शम-ए-मोहब्बत को फ़रोज़ाँ कर दे
दाग़-ए-दिल को मिरे सद-रश्क-ए-गुलिस्ताँ कर दे
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
तर्क-ए-मोहब्बत
हुस्न की मस्लहतों का है तक़ाज़ा दिल से
कि निकल जाए ग़म-ए-इश्क़ का सौदा दिल से
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
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नज़्म
मेरा नज़रिया-ए-शे'र
शेर क्या है हुस्न की हर एक शय में जुस्तुजू
इक निगार-ए-हुस्न से पर्दे के पीछे गुफ़्तुगू
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ज़ख़्म क्यों दिल पे लगाते हो जो भरने के नहीं
मिट गए नक़्श वफ़ा के तो उभरने के नहीं
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
तस्वीर का दूसरा रुख़
ऐ कि दिल तेरा है फ़िक्र-ए-बादा-ए-गुलफ़ाम में
ज़हर भी होता है अक्सर ख़ूबसूरत जाम में
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
डूब कर ख़ून में किस रंग से पैकाँ निकला
दिल-ए-ईज़ा-तलब अब तो तिरा अरमाँ निकला
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
मौत और इश्क़
दीदा-ए-अफ़्लाक ने देखे बहुत इंक़िलाब
अहद-ए-कुहन के निशाँ महव हुए मिस्ल-ए-ख़्वाब
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
क्यों न हो
आँख वालो हुस्न-ए-वहदत का तमाशा क्यों न हो
दिल है तो राज़-ए-हक़ीक़त की तमन्ना क्यों न हो
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
सराब-ए-तहज़ीब
किशवर-ए-मग़रिब अलम-बरदार-ए-तहज़ीब-ए-जदीद
आ दिखा दूँ मैं तुझे अनवार-ए-तहज़ीब-ए-जदीद