आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vaamaandagi-e-zauq-e-tamaasha"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "vaamaandagi-e-zauq-e-tamaasha"
ग़ज़ल
फ़ज़ा-ए-ज़ौक़-ए-तमाशा है सर-बसर महदूद
वसीअ' दायरा-ए-हुस्न और नज़र महदूद
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "vaamaandagi-e-zauq-e-tamaasha"
अन्य परिणाम "vaamaandagi-e-zauq-e-tamaasha"
ग़ज़ल
बज़्म-ए-‘अज़ा बनी हुई है बज़्म-ए-ज़ौक़-ओ-शौक़
दौर-ए-नशात मोजिब-ए-दौरान-ए-सर है आज
रशीद शाहजहाँपुरी
ग़ज़ल
ब-क़द्र-ए-ज़ौक़-ए-सुजूद आस्ताँ नहीं मिलता
ज़मीं मिले तो मिले आसमाँ नहीं मिलता
सय्यद वाजिद अली फ़र्रुख़ बनारसी
ग़ज़ल
बहुत दुश्वार है तस्कीन-ए-ज़ौक़-ए-रंग-ओ-बू करना
जो चुन सकते हो काँटे तो गुलों की आरज़ू करना