aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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जितना-जितना वो उनकी मुंडिया ज़मीन पर घिसते, मुमानी संदल की तरह महकतीं। बहनें घर से तर माल तैयार करके भाई को खिलाने लातीं कि कहीं भावज ज़हर न खिला रही हो। अपने हाथ से सामने ख़िलातीं। मगर इन खानों से मामूँ का हाल और पतला हो जाता। बवासीर की पुरानी...
अलियासफ़ बिंत-ए-अलख़िज़्र को याद कर के रोया मगर अचानक अलीउज़्र की जोरू याद आई जो अलीउज़्र को बंदर की जोन में देख कर रोई थी। हालाँकि उसकी हड़की बंध गई और बहते आँसूओं में उसके जमील नुक़ूश बिगड़ते चले गए। और हड़की की आवाज़ वहशी होती चली गई यहाँ तक...
आप कहीं ये न समझ लें कि ख़ुदा-नख़्वास्ता वो कोई ऐसे आदमी हैं जिनका ज़िक्र किसी मुअज़्ज़ मज्मे में ना किया जा सके। कुछ अपने हुनर के तुफ़ैल और कुछ ख़ाकसार की सोहबत की बदौलत सब के सब ही सफेदपोश हैं। लेकिन इस बात को क्या करूँ कि उनकी दोस्ती...
دیوانہ بنانا ہے دیوانہ بنادے اس غزل نے اسے دیوانہ بنا دیا تھا،جہاں جاؤ’’دیوانہ بنانا ہے تو دیوانہ بنا دے‘‘ الاپا جارہا ہے۔ آخر کیا مطلب ہے کو ٹھے پر چڑھو تو کانا اسمٰعیلی ایک آنکھ سے اپنے اڑتے ہوئے کبوتروں کی طرف دیکھ کر اونچے سُروں میں گارہا ہے’’دیوانہ...
"डॉक्टर! तुम मुझे यादों के घने जंगल में छोड़ गए हो। जहाँ तुम्हारी हर बात, हर क़हक़हा एक मुस्तक़िल गूँज बन कर फैल गया हो। और मैं इस जंगल में तन्हा फिर रही हूँ... तुम्हारे बग़ैर ज़िंदगी के लम्हात पज़मुर्दा पत्तियों की मानिंद दरख़्तों से रुक-रुक कर गिर रहे हैं......
कबूतरोंکبوتروں
pigeons
Lal Sabz Kabutaron Ki Chhatri
Aslam Farrukhi
Sketches
Lal Sabz Kabotaron Ki Chatri
Safed Jangali Kabootar
Munawwar Rana
Gumbad Ke Kabootar
Shaukat Hayat
Short-story
Kabootaron Ka Spy Plan
Shahid Jameel Ahmad
Novel
Jangli Kabootar, Bandi, Teen Anari
Ismat Chughtai
Kabootar Ke Khat
Krishn Chander
Bhole Kabootar Hoshiyar Sanp
Talib Shahabadi
Kabootar Sabz Gumbad Ke
Izhar Warsi
Naat
Jungli Kabootar
"ख़ानम दौड़ना... जल्दी आना... बिल्ली... बिल्ली, घेरी है।" "क्या है ?" ख़ानम ने सेहन के उस पार से आवाज़ दी, "अभी आई।"...
इस अंग्रेज़ीयत के धूम-धड़क्के ने सितारा को सुब्ह से थका मारा था। उनके फ़्लैट में था ही क्या। चंद कुर्सियाँ और दो मेज़ें, सितारा कल से अब तक इन चीज़ों को हर ज़ाविए से सजा कर चूर हो चुकी थी। इस पर से कमबख़्त दरी और सर पर सवार थी।...
भंग घोटने के लिए वो साल भर में छः कुंडियां बनाया करता था जिनके मुतअ’ल्लिक़ बड़े फ़ख़्र से वो ये कहा करता था, “चौधरी लोहा है लोहा, फ़ौलाद की कुंडी टूट जाये पर गामा साईं की ये कुंडी दादा ले तो उसका पोता भी उसी में भंग घोट कर पिए।”...
دیوالی کی شام تھی۔ سری نگر کے گھروں اورکھنڈروں کے بھی نصیب جاگ گئے تھے۔ گاؤں کے لڑکے لڑکیاں ہنستے کھیلتے۔ چمکتی ہوئی تھالیوں میں چراغ لئے ہوئے مندروں کوجاتے تھے۔ چراغوں سے زیادہ ان کے چہرے روشن تھے۔ ہردرودیوار روشنی سے جگمگارہاتھا۔ صرف پنڈت دیودت کا ست منزلہ محل...
پھر رومن وقتوں کا سین دکھایا جا رہا ہے۔ چند لوگوں نے رومن لباس پہن رکھا ہے۔ باقیوں نے نیکریں اور پتلونیں پہن رکھی ہیں۔ چند حضرات چھتریاں لگائے پھر رہے ہیں اور محراب میں سے کچھ اونٹ چلے جا رہے ہیں۔ ایک صاحب کے بال انگریزی تراش کے ہیں۔...
स्टेशन से कुछ दूर आ कर घसीटे भौंचक्का सा रह गया। यहां की दुनिया ही अब और थी। खेतों और बाग़ों की जगह एक शक्कर मिल खड़ी धुआँ उड़ा रही थी। जिसकी इमारतें यहां से वहां तक नज़र आती थीं। कच्ची सड़क की जगह अब पक्की सड़क थी और उसके...
“नहीं साहब, बस।” “अजी आपको हमारी क़सम, ज़रा मुलाहिज़ा तो फ़रमाइए”, वो साहब बोले। फिर वही बेशुमार सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ीं। दिल बे-तहाशा धड़क रहा था। साँस फूला हुआ था। ऊपर जाकर देखते हैं कि एक छोटी सी कोठरी है। एक मुर्ग़ियों का डरबा है। एक तरफ़ कबूतरों की छतरी है...
ख़ैर साहब गोरी बी फिर दुल्हन बनाई गईं। कगया ईंट वाला मकान फिर फूलों और शमाम-तुल-अंबर की ख़ुशबू से महक उठा। अम्मां ने समझाया। “तुम उस की मनकूहा हो बेटी जान। घूंगट उठाने में कोई ऐब नहीं। उसकी ज़िद पूरी कर दो, मुग़ल बच्चा की आन रह जाएगी। तुम्हारी दुनिया...
“बुरा कैसे?” “बुरा? बुरा... इसमें धोके का ख़तरा है। ये लोग दूसरे का माल अपने पास गिरवी रखते हुए और बग़ैर महसूस किए हुए अपना ज़मीर अपने गाहक के सामने गिरवी रख देते हैं और यहाँ से कभी कभी कोई हसीन लड़की अपनी रुमानवी हयात-ए-मआशक़ा की अज़ीज़ तरीन और आख़िरी...
ये कमरा हर क़िस्म के घरेलू सामान से भरा हुआ था। एक तरफ़ शीशों की क़द-ए-आदम अलमारियों में चीनी के बरतन सजे थे। दूसरी तरफ़ लम्बे चौड़े ख़ूबसूरत पलंग पर रेशमी तकिये और सूती की सफ़ेद चादर पड़ी थी। नेमत ख़ाने के क़रीब मेज़ पर रेडियो रखा हुआ था। आधे...
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