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तंज़-ओ-मज़ाह
मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
नज़्म
कुछ तबले खटके ताल बजे कुछ ढोलक और मुर्दंग बजी
कुछ झड़पें बीन रबाबों की कुछ सारंगी और चंग बजी
नज़ीर अकबराबादी
लेख
تم سے استادوں میں میری شاعری بے کار ہے ساتھ سارنگی کا بلبل کے لئے دشوار ہے...