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ग़ज़ल
दुनिया के नेक-ओ-बद से काम हम को 'नियाज़' कुछ नहीं
आप से जो गुज़र गया फिर उसे क्या जो हो सो हो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
ग़ज़ल
अज्ञात
ग़ज़ल
बर्ग-ओ-गुल शाख़-ओ-समर हो गए महफ़ूज़ 'नियाज़'
बाग़ में जब से शरारों पे नज़र है मेरी
सैय्यद नियाज़ अली नियाज़
ग़ज़ल
अब इंक़िलाब-ए-दहर की बातें कहाँ 'नियाज़'
जिस फ़िक्र-ओ-फ़न पे नाज़ था कब का बदल गया
नियाज़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
हम को नहीं है फ़िक्र किसी बात की 'नियाज़'
तारीकियों में शम-ए-फ़रोज़ाँ की फ़िक्र है
अब्दुल मतीन नियाज़
ग़ज़ल
अब वो क्या आएँगे तुम भी आँख झपका लो 'नियाज़'
सुब्ह का तारा भी अब तो झिलमिलाता जाए है
नियाज़ फ़तेहपुरी
ग़ज़ल
रज़्म-ए-हस्ती से गुज़रना है अगर तुझ को 'नियाज़'
ज़ुल्मत-ए-शब को समझ सुब्ह की तनवीर न देख
अब्दुल मतीन नियाज़
ग़ज़ल
कितने ही ज़ख़्म हरे हैं मिरे सीने में 'नियाज़'
आप अब मुझ से इनायात की बातें न करो
अब्दुल मतीन नियाज़
ग़ज़ल
अब ये हाल-ए-दिल है जैसे रख के काँटों पर 'नियाज़'
रेशमी चादर को बेदर्दी से खींचा जाए है
नियाज़ फ़तेहपुरी
ग़ज़ल
जो मह-वशों की जबीनों से फूटती है 'नियाज़'
परख सको तो परख लो वो रौशनी क्या है
नियाज़ हुसैन लखवेरा
ग़ज़ल
प्यार रूहों में कशिश बन की धड़कता है 'नियाज़'
ये वो जज़्बा है जो पल-भर में शनासाई करे
नियाज़ हुसैन लखवेरा
ग़ज़ल
उस के ख़ाली-पन को भी भरने की सोचें ऐ 'नियाज़'
वैसे तो राशन का हर डिब्बा भरा छोड़ आए हैं