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ग़ज़ल
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
जो शरफ़ हम को मिला कूचा-ए-जानाँ से 'फ़राज़'
सू-ए-मक़्तल भी गए हैं उसी पिंदार के साथ
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
राख सी मज्लिस-ए-अक़्वाम की चुटकी में है क्या
कुछ भी हो ये मिरा पिंदार नहीं हो सकता
अहमद नदीम क़ासमी
ग़ज़ल
तज़ईन-ए-लब-ओ-गेसू कैसी पिंदार का शीशा टूट गया
थी जिस के लिए सब आराइश उस ने तो हमें देखा भी नहीं
फ़हमीदा रियाज़
ग़ज़ल
आप क्या नक़द-ए-दो-आलम से ख़रीदेंगे इसे
ये तो दीवाने का सर है सर-ए-पिंदार पे ख़ाक