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ग़ज़ल
छे दिन तो बड़ी सच्चाई से साँसों ने पयाम-रसानी की
आराम का दिन है किस से कहें दिल आज जो सदमे सहता है
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
उस की सुख़न-तराज़ियाँ मेरे लिए भी ढाल थीं
उस की हँसी में छुप गया अपने ग़मों का हाल भी