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ग़ज़ल
दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
सारी गली सुनसान पड़ी थी बाद-ए-फ़ना के पहरे में
हिज्र के दालान और आँगन में बस इक साया ज़िंदा था
जौन एलिया
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है