आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मुंडा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "मुंडा"
ग़ज़ल
एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
यही अच्छा हुआ तू ने जो ज़ुल्फ़ों को मुँडा डाला
नहीं तो तेरे दीवानों की हालत और हो जाती
बूम मेरठी
ग़ज़ल
अब जुस्तुजू का रुख़ जो मुड़ा है तो मत पुकार
सब तुझ को ढूँडते थे मगर तू कहाँ मिला
जमीलुद्दीन आली
ग़ज़ल
मुझे दुख फिर दिया तू ने मुँडा कर सब्ज़ा-ए-ख़त को
जराहत को मिरे वो मरहम-ए-ज़ंगार बेहतर था
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
ग़ज़ल
लौट कर देखेंगे उस के आगे उस ने क्या लिखा
डाइरी में उस की इक पन्ना मुड़ा छोड़ आए हैं