आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रुलाने"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "रुलाने"
ग़ज़ल
अब जो रोते हैं मिरे हाल-ए-ज़बूँ पर 'अख़्तर'
कल यही थे मुझे हँस हँस के रुलाने वाले
अख़्तर सईद ख़ान
ग़ज़ल
क्या क़यामत है कि रुलवा के हमें ऐ 'जौहर'
क़हक़हे मार के हँसते हैं रुलाने वाले
लाला माधव राम जौहर
ग़ज़ल
वो भी अपने वो भी अपने वो भी अपने थे कभी
वो जो अपने थे कभी वो थे रुलाने के लिए