आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ahmar"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ahmar"
ग़ज़ल
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
दश्त की आब-ओ-हवा ने दिया काँटों का लिबास
मैं बहारों में जो पलता गुल-ए-अह्मर होता
हैदर अली जाफ़री
ग़ज़ल
भूलने वाले फ़क़त इतना बताना है तुझे
तेरा 'अह्मर' याद से तेरी कभी ग़ाफ़िल नहीं
अनवारुल हक़ अहमर लखनवी
ग़ज़ल
याँ बादा-ए-अहमर के छलकते हैं जो साग़र
ऐ पीर-ए-मुग़ाँ देख कि है सारी दुकाँ सुर्ख़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
कहते हैं वो पाँ-ख़ुर्दा-लब याक़ूत के टुकड़े तो थे
कहलाए लेकिन आज से बर्ग-ए-गुल-ए-अह्मर भी हम
शाह नसीर
ग़ज़ल
हज़ारों क़ाफ़िले लूटे हैं जिस ने राह-ए-उल्फ़त के
दिल-ए-मासूम ने 'अह्मर' उसी को रहनुमा समझा