aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ashjaar"
जो भी मिन-जुम्ला-ए-अश्जार नहीं हो सकताकुछ भी हो जाए मिरा यार नहीं हो सकता
सुर्ख़ियाँ अम्न की तल्क़ीन में मसरूफ़ रहींहर्फ़ बारूद उगलते रहे अख़बार के बीच
सलामी को झुके जाते हैं अश्जारहवा का एक झोंका जा रहा है
हमारे बाग़बाँ ने कह दिया गुलचीं के शिकवे परनए अश्जार भी देंगे समर आहिस्ता आहिस्ता
अश्जार होवें ख़ामा-ओ-आब-ए-सियह-बेहारलिखना न तो भी हो सके उस की सिफ़ात का
इक़बाल मुसाइद जब न रहा रक्खे ये क़दम जिस मंज़िल मेंअश्जार से साया दूर हुआ चश्मों ने उबलना छोड़ दिया
जो मुसाफ़िर के लिए बाइस-ए-तसकीन नहींऐसे अश्जार की छाँव से उलझ बैठा हूँ
मेरे रस्ते में भी अश्जार उगाया कीजेमैं भी इंसाँ हूँ मिरे सर पे भी साया कीजे
हवा-ए-ताज़ा हूँ रुकना नहीं कहीं भी मुझेघरों में घुसता हूँ अश्जार से निकलता हूँ
गुफ़्तुगू करने लगे रेत के अम्बार के साथदोस्ती हो गई आख़िर मिरी अश्जार के साथ
मौसम ख़िज़ाँ ही का था मगर हाल ये न थाकैसी बहार आई कि अश्जार मर गए
ये धूप ही थी अपनी गुज़रगाह सो रक्खाइक फ़ासला भी साया-ए-अश्जार से हम ने
बन में सरगोशी हुई आसार-ए-अब्र-ओ-बाद सेबंद-ए-ग़म से जैसे इक अश्जार का लश्कर खुला
धूप के क़हर की लज़्ज़त के शैदाई हैंये अश्जार भी ख़्वाब से चौंक पड़े होंगे
धूप ज़ालिम ही सही जिस्म तवाना है अभीयाद आएगा कभी साया-ए-अश्जार मुझे
ऐसी कहाँ उतरी है कोई शाम मिरी जानअश्जार पे लिखा है तिरा नाम मेरी जान
धूप का बोझ सरों पर आख़िर आन गिराख़त्म हुए अश्जार सफ़र कैसे कटता
ये ज़र्द हो गए कैसे हरे भरे अश्जारजो लोग साए में बैठे थे उन पे क्या गुज़री
उठ के जा सकते हैं हम ऐसों के साए से आपहम समझते हैं कि अश्जार का मतलब क्या है
वीरानी-ए-गुलशन पे ही मा'मूर है मौसममिट्टी से निकलते नहीं अश्जार मिरे यार
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