आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baaG-e-adan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "baaG-e-adan"
ग़ज़ल
रुख़सार-ए-तर से ताज़ा हो बाग़-ए-अदन की याद
और उस की पहली सुब्ह की वो रसमसाहटें
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर पल में माह-ए-तमाम हुए
हम हर बुर्ज में घटते घटते सुब्ह तलक गुमनाम हुए
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
ख़ुश नहीं आया मुझे बाग़-ए-अदन भी 'साजिद'
मार डाला है मुझे फिर मिरी हुश्यारी ने
ग़ुलाम हुसैन साजिद
ग़ज़ल
जिन पे बारिश-ए-गुल है उन का हाल क्या होगा
ज़ख़्म खाने वाले भी बाग़ बाग़ हैं यारो
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
क्यूँ जानते हैं सनअत-ओ-हिरफ़त को बाग़-ए-ख़ुल्द
ग़ैरों की हम निगाह में हैं ख़ार आज-कल
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
शाख़-ए-गुल हिलती नहीं ये बुलबुलों को बाग़ में
हाथ अपने के इशारे से बुलाती है बहार
मज़हर मिर्ज़ा जान-ए-जानाँ
ग़ज़ल
तू भी गुल के आईने पर खींच दे तस्वीर-ए-हुस्न
मैं भी बुलबुल को सुनाऊँ बाग़ में तक़रीर-ए-इश्क़