आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "baab-e-qafas"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "baab-e-qafas"
ग़ज़ल
आ ही जाएगी सहर मतला-ए-इम्काँ तो खुला
न सही बाब-ए-क़फ़स रौज़न-ए-ज़िंदाँ तो खुला
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
उन से बहार ओ बाग़ की बातें कर के जी को दुखाना क्या
जिन को एक ज़माना गुज़रा कुंज-ए-क़फ़स में राम हुए
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
वा बाब-ए-क़फ़स और हूँ मैं बाब-ए-क़फ़स पर
जैसे कि उड़ा ली पर-ए-पर्वाज़ किसी ने
कैफ़ी चिरय्याकोटी
ग़ज़ल
गुलज़ार बुख़ारी
ग़ज़ल
हुस्न के बाब में 'अकबर' की सनद काफ़ी है
हम भी हर इक बुत-ए-कमसिन को परी कहते हैं
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
मैं किताब-ए-दिल में अपना हाल-ए-ग़म लिखता रहा
हर वरक़ इक बाब-ए-तारीख़-ए-जहाँ बनता गया