aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dayaar"
न मैं 'मुज़्तर' उन का हबीब हूँ न मैं 'मुज़्तर' उन का रक़ीब हूँजो बिगड़ गया वो नसीब हूँ जो उजड़ गया वो दयार हूँ
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार मेंकिस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में
दयार-ए-ग़ैर में महरम अगर नहीं कोईतो 'फ़ैज़' ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू ही सही
शाम तेरे दयार में आख़िरकोई तो अपने घर गया होगा
हम वहाँ हैं जहाँ कुछ भी नहीं रस्ता न दयारअपने ही खोए हुए शाम ओ सहर के हम हैं
'नासिर' इस दयार मेंकितना अजनबी है तू
दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गयामिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया
ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगासुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
ऐ यार-ए-ख़ुश-दयार तुझे क्या ख़बर कि मैंकब से उदासियों के घने जंगलों में हूँ
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार हैहद-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है
बस इतना होश है मुझ को कि अजनबी हैं सबरुका हुआ हूँ सफ़र में किसी दयार में हूँ
नौहे फ़सील-ए-ज़ब्त से ऊँचे न हो सकेखुल कर दयार-ए-संग में रोया न तू न मैं
दयार-ए-शाम नहीं मंज़िल-ए-सहर भी नहींअजब नगर है यहाँ दिन चले न रात चले
धूप के क़हर का डर है तो दयार-ए-शब सेसर-बरहना कोई परछाईं निकलती क्यूँ है
जल्वा-ए-हुस्न-ए-अज़ल थे वो दयारजिन के अब नाम-ओ-निशाँ याद नहीं
दयार-ए-नूर में तीरा-शबों का साथी होकोई तो हो जो मिरी वहशतों का साथी हो
हम ऐसे बे-हुनरों में है जो सलीक़ा-ए-ज़ीस्ततिरे दयार में पल-भर क़याम से आया
ऐ तराह-दार-ए-इश्वा-तराज़-ए-दयार-ए-नाज़रुख़्सत हुआ हूँ तेरे लिए दिल-गली से मैं
उफ़ुक़ पे दूर चमकता हुआ कोई तारामुझे चराग़-ए-दयार-ए-हबीब लगता है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books