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ग़ज़ल
न दिल अपना न ग़म अपना न कोई ग़म-गुसार अपना
हम अपना जानते हर चीज़ को होता जो यार अपना
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
ठिकाना है कहीं जाएँ कहाँ नाचार बैठे हैं
इजाज़त जब नहीं दर की पस-ए-दीवार बैठे हैं
इम्दाद इमाम असर
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
याद गुज़रे हुए लम्हों की सज़ा हो जैसे
पुर-सुकूँ झील में कंकर सा गिरा हो जैसे
क़ाज़ी अब्ब्दुर्रऊफ़ अंजुम
ग़ज़ल
बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है
शरार-ए-संग-ए-मूसा के लिए बर्क़-ए-तजल्ला है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
खोल दी है ज़ुल्फ़ किस ने फूल से रुख़्सार पर
छा गई काली घटा सी आन कर गुलज़ार पर
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
सोज़-ए-दरूँ से जल-बुझो लेकिन धुआँ न हो
है दर्द-ए-दिल की शर्त कि लब पर फ़ुग़ाँ न हो
मौलाना मोहम्मद अली जौहर
ग़ज़ल
इज़्तिराब-ए-ख़ुद-नुमाई-ओ-हया में फ़र्क़ है
हम समझते हैं जो उन की हर अदा में फ़र्क़ है
उरूज ज़ैदी बदायूनी
ग़ज़ल
कुछ इलाज-ए-दिल-ए-बेताब मिरी जाँ हो जाए
आज अगर वस्ल के वा'दे पे ज़रा हाँ हो जाए