आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "intikhab kalam e jura at ebooks"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "intikhab kalam e jura at ebooks"
ग़ज़ल
मताअ'-ए-जुरअत-ए-दिल वक़्फ़-ए-यक-निगाह-ए-करम
वजूद बे-सर-ओ-सामाँ रहीन-ए-मुल्क-ए-अदम
तल्हा रिज़वी बर्क़
ग़ज़ल
हो जुदा ऐ चारा-गर है मुझ को आज़ार-ए-फ़िराक़
बे-विसाल अच्छा हुआ भी कोई बीमार-ए-फ़िराक़
क़लक़ मेरठी
ग़ज़ल
उन के गुनाह-ओ-जुर्म-ओ-ख़ता पर क़द-आवर ख़ामोश रहे
हम से ज़रा सी चूक हुई तो ख़ुर्द-ओ-कलाँ तक बात गई
बिसमिल आज़मी
ग़ज़ल
ग़म नतीजा है ख़ुशी की इंतिहा का ऐ 'कलीम'
दिल की इक इक मौज मौज-ए-शादमानी हो तो क्या
कलीम अहमदाबादी
ग़ज़ल
ग़ज़ल और इस ज़मीं में पढ़िए वो 'जुरअत' कि सुन जिस को
कहें आशिक़ कलाम-ए-आशिक़ाना इस को कहते हैं
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
रंग माहौल-ए-चमन से ये हुवैदा है 'सग़ीर'
काम आएगी मिरी जुरअत-ए-पर्वाज़ कहीं