आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "josh"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "josh"
ग़ज़ल
तिरे जोश-ए-हैरत-ए-हुस्न का असर इस क़दर सीं यहाँ हुआ
कि न आइने में रही जिला न परी कूँ जल्वागरी रही
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
हमारा नाम भी शायद गुनहगारों में शामिल हो
जनाब-ए-'जोश' से साहब सलामत हम भी रखते हैं
जोश मलसियानी
ग़ज़ल
शाम हुई फिर जोश-ए-क़दह ने बज़्म-ए-हरीफ़ाँ रौशन की
घर को आग लगाएँ हम भी रौशन अपनी रात करें
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
जोश-ए-बारिश है अभी थमते हो क्या ऐ अश्को
दामन-ए-कोह-ओ-बयाबाँ को तो भर जाने दो
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
ये जोश-ए-गिर्या तो देखो कि जब फ़ुर्क़त में रोया हूँ
दर ओ दीवार इक पल में मिरे मदफ़न के बैठे हैं
दाग़ देहलवी
ग़ज़ल
देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख