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ग़ज़ल
ग़ुलाम रब्बानी नईम
ग़ज़ल
हिर-फिर के क्यों न आए मिरे दिल में उस की नाज़
होता है उन्स सब को ज़रूर अपने घर के साथ
रियाज़ हसन खाँ ख़याल
ग़ज़ल
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं