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ग़ज़ल
घबराएँ हवादिस से क्या हम जीने के सहारे निकलेंगे
डूबेगा अगर ये सूरज भी तो चाँद सितारे निकलेंगे
अलीम मसरूर
ग़ज़ल
जब अयाँ सुब्ह को वो नूर-ए-मुजस्सम हो जाए
गौहर-ए-शबनम-ए-गुल नय्यर-ए-आज़म हो जाए
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
ग़ज़ल
ये इश्क़ ने देखा है ये अक़्ल से पिन्हाँ है
क़तरे में समुंदर है ज़र्रे में बयाबाँ है
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
अख़्तर शीरानी
ग़ज़ल
सरिश्क-ए-ग़म सिमट कर दिल के अरमानों को ले डूबे
ये साहब-ख़ाना अपने साथ मेहमानों को ले डूबे
अरशद सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
लुत्फ़ ले ले के पिए हैं क़दह-ए-ग़म क्या क्या
हम ने फ़िरदौस बनाए हैं जहन्नम क्या क्या
अख़्तर अंसारी
ग़ज़ल
वो काश वक़्त के पहरे को तोड़ कर आते
जो महव-ए-ख़्वाब हैं उन को झिंझोड़ कर आते
मर्ग़ूब असर फ़ातमी
ग़ज़ल
बस इसी का ग़म नहीं है दिल है दीवाना तिरा
बंदा-ए-बे-दाम है हर-मस्त-ओ-फ़रज़ाना तिरा