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नज़्म
मिस्ल-ए-अंजुम उफ़ुक़-ए-क़ौम पे रौशन भी हुए
बुत-ए-हिन्दी की मोहब्बत में बिरहमन भी हुए
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये इस्तिग़्ना है पानी में निगूँ रखता है साग़र को
तुझे भी चाहिए मिस्ल-ए-हबाब-ए-आबजू रहना
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिस्ल-ए-पैराहन-ए-गुल फिर से बदन चाक हुए
जैसे अपनों की कमानों में हों अग़्यार के तीर
अहमद फ़राज़
नज़्म
गर्द से पाक है हवा बर्ग-ए-नख़ील धुल गए
रेग-ए-नवाह-ए-काज़िमा नर्म है मिस्ल-ए-पर्नियाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तुझ को मिस्ल-ए-तिफ़्लक-ए-बे-दस्त-ओ-पा रोता है वो
सब्र से ना-आश्ना सुब्ह ओ मसा रोता है वो
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
चमन को छोड़ के निकला हूँ मिस्ल-ए-निकहत-ए-गुल
हुआ है सब्र का मंज़ूर इम्तिहाँ मुझ को
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जिस के छू जाते ही मिस्ल-ए-नाज़नीन-ए-मह-जबीं
करवटों पर करवटें लेती है लैला-ए-ज़मीं
जोश मलीहाबादी
नज़्म
मुल्कों मुल्कों हम घूमे थे बंजारों की मिस्ल
लेकिन इस की सज-धज सच-मुच दिल-दारों की मिस्ल
अहमद फ़राज़
नज़्म
ये गीत मिस्ल-ए-शोला-ए-जव्वाला तुंद-ओ-तेज़
इस की लपक से बाद-ए-फ़ना का जिगर गुदाज़