आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "जनाज़े"
नज़्म के संबंधित परिणाम "जनाज़े"
नज़्म
काश औरत भी जनाज़े को कांधा दे सकती
हर क़दम ज़ंजीर मा'लूम हो रहा है और मेरा दिल तह कर के रख दिया
सारा शगुफ़्ता
नज़्म
कि सर ही सर जनाज़े में हैं मेरे
और मैं बानों की नई इक चारपाई पर सुकूँ के साथ लेटा हँस रहा हूँ
शारिक़ कैफ़ी
नज़्म
मुझे भी तो 'सिकंदर' के जनाज़े में पहुँचना है
मुझे भी आब-ए-हैवाँ से छलकती मौत का नौहा सुनाना है
अब्बास ताबिश
नज़्म
इक जनाज़े को उठाए जा रहे थे चंद लोग
तुम ने पूछा क्या हुआ क्यूँ जा रहे हो तुम मलूल
मयकश अकबराबादी
नज़्म
मीराजी
नज़्म
कर्दा गुनाहों की नहीं ना-कर्दा गुनाहों की बात कर रहा हूँ मैं
ख़्वाहिशों और हसरतों के जनाज़े पड़े हैं