इंकार की सरहद पर
अगर मुझ से मिलना है आओ मिलो तुम
मगर याद रखना
मैं इक़रार की मंज़िलें रास्ते ही में छोड़ आया हूँ
अब मुझ से मिलना है तुम को तो इंकार की सरहदों पे मिलो
झींगुरों मकड़ियों के जनाज़े
मैं रस्ते पे छोड़ आया हूँ
पुरानी कथाएँ मुझे खींचती हैं
ज़मीं का ज़वाल आज ज़ंजीर-ए-पा बन रहा है
ख़स-ओ-ख़ाक के सारे रिश्ते
मैं ने हर शय को अब तज दिया है
कोई मा'ज़रत भी नहीं है
कि मैं मा'ज़रत के सभी झूटे लफ़्ज़ों को
अपनी लुग़त से निकाल आया हूँ
मैं इंकार के आसमानों पे फिरता हुआ
मैं इंकार का विर्द करता हुआ
मैं ज़मीनों पे और आसमानों की हर शय पे
इंकार की सुर्ख़ मोहरें लगाता हुआ
और दमा-दम की इक थाप पे
मैं ने सातों ज़मीनों के सातों तबक़ आज रौशन किए हैं
देखना आसमाँ रक़्स करने लगा है
ज़मीनों के सारे ख़ज़ाने उबलने लगे हैं
सारे दफ़ीने जड़ों से उखड़ कर
मिरे सामने हाथ बाँधे खड़े हैं
मेरी आवाज़ पर मछलियाँ पानियों से निकल आई हैं
आज अर्ज़-ओ-समावात की सारी पोशीदा ख़बरें मैं सुनने लगा हूँ
मैं ख़ुश हूँ मुझे आगही मिल गई है
बदन के मसामों से अब आगही शो'ला बन कर चमकने लगी है
अजब कश्फ़ की रौशनी है
ज़मीं अपनी सत्ह से पाताल तक रौशनी में नहा कर
शब-ए-अव्वलीं की दुल्हन की तरह आज शर्मा रही है
ताज़ा हवाओं की दोशीज़गी सात रंगों में बरहना हुई है
हयाओं की सुर्ख़ी से चेहरा कँवल है
कि मेरी दुल्हन का बदन फूल है
वो हवाओं के रंगों में डूबी हुई है
हवाओं की दोशीज़गी सात रंगों में बरहना हुई है
हर इक शय नक़ाब अपना उल्टे हुए है
सभी भेद अपनी ज़बानें निकाले मिरे सामने आ गए हैं
किताबों के औराक़ ख़ुद बोलते हैं
ज़मीं आसमाँ की हर इक शय
समुंदर हवाएँ ज़मीनों की सतहें
सत्हों के नीचे सदियों के चेहरे
पहाड़ों की बर्फ़ें बर्फ़ों के शोरीदा पानी
सदियों के प्यासे समुंदर के साहिल दरख़्तों के पत्ते
फूलों के चेहरे और रोज़-ओ-शब के सफ़ेद-ओ-सियाह सिलसिले
हर इक शय मुझे अपने भेदों से असरार से
आश्ना कर रही है
अजब आश्नाई की लज़्ज़त मिली है
मैं इस आश्नाई की लज़्ज़त से सरशार हो कर
मुक़द्दस ज़मीं के पुराने दुखों को गले से लगा कर
मैं इक़रार की मंज़िलें रास्ते ही में छोड़ आया हूँ
मैं सारी पुरानी कथाएँ जला कर
फ़क़त इक दमा-दम की आवाज़ पर रक़्स करता हुआ
मैं इक़रार की सरहदों से परे आ गया हूँ
अब मुझ से मिलना है तुम को
तो आओ मिलो
मगर याद रखना
मैं इक़रार की दुश्मनी पर उतर आया हूँ
अब मैं इंकार की सरहदों पे मिलूँगा
- पुस्तक : Prindey,phool taalab (पृष्ठ 68)
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