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नज़्म
ख़ुलूस-ए-कार से मिलती है ज़िंदगी 'अज़्मत'
ख़ुलूस-ए-कार को रहबर बनाएँगे हम लोग
अज़मत अब्दुल क़य्यूम ख़ाँ
नज़्म
सच बता तू भी है क्या ऐ कुश्ता-ए-सद-हिर्स-ओ-आज़
राज़-दान-ए-काकुल-ए-शब-रंग ओ चश्म-ए-नीम-बाज़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
वो मोतियों की बारिशें फ़ज़ा में जज़्ब हो गईं
जो ख़ाक-दान-ए-तीरा पर बरस रही थीं रात को
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
रहबर जौनपूरी
नज़्म
काश तू मेरे लिए वजह-ए-कशूद-ए-कार हो
तेरी क़ुम से बख़्त-ए-ख़्वाबीदा मिरा बेदार हो