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नज़्म
ख़्वाब-ए-गिराँ से ग़ुंचों की आँखें न खुल सकीं
गो शाख़-ए-गुल से नग़्मा बराबर उठा किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
साज़-ए-उल्फ़त की नवा सोज़-ए-मोहब्बत तो नहीं
नग़्मा-ए-अद्ल-ओ-मुसावात-ओ-उख़ुव्वत तो नहीं
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
हो लब पे नग़मा-ए-महर-ओ-वफा की ताबानी
किताब-ए-दिल पे फ़क़त हर्फ़-ए-इश्क़ हो तहरीर
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
इक तरफ़ चलते हैं हल इक सम्त चलते हैं ख़र्रास
इतनी मेहनत और लब पर नग़मा-ए-शुक्र-ओ-सिपास
अर्श मलसियानी
नज़्म
रक़्स-ए-मीना से उठे नग़्मा-ए-रक़्स-ए-बिस्मिल
साज़ ख़ुद अपने मुग़न्नी को गुनहगार करें
अहमद फ़राज़
नज़्म
लड़कपन की रफ़ीक़ ऐ हम-नवा-ए-नग़मा-ए-तिफ़ली
हमारी ग्यारह साला ज़िंदगी की दिल-नशीं वादी
अब्दुल अहद साज़
नज़्म
दस्त-ए-फ़ितरत नय-नवाज़-ए-नग़्मा-ए-ख़ामोश है
हैरतों का नक़्श लौह-ए-दिल से हम-आग़ोश है
नख़्शब जार्चवि
नज़्म
जिन पर नारे हैं लिखे घर वो तह-ए-ख़ाक करो
शहर में गूँजे फ़क़त नग़्मा-ए-तौसीफ़-ए-रिया