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नज़्म
धीमी धीमी बहने वाली एक नहर-ए-दिल-नशीं
आब-ए-जू छोटी सी इक नाज़ुक ख़िराम-ओ-नाज़नीं
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
अफ़यूँ का दौर भी है मय-ए-अर्ग़वाँ के बाद
जाम-ए-सिफ़ाल हाथ में है जाम-ए-जम के साथ
इस्मतुल्लाह इस्मत बेग
नज़्म
हो अगर हाथों में तेरे ख़ामा-ए-मोजिज़ रक़म
शीशा-ए-दिल हो अगर तेरा मिसाल-ए-जाम-ए-जम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ये कार-ज़ार-ए-हस्ती है रंज-ओ-ग़म की बस्ती
फिर याद-ए-बज़्म-ए-जम में इक जाम-ए-जम पिला दे
ख़ुशी मोहम्मद नाज़िर
नज़्म
तुम्हें रुस्वा सर-ए-बाज़ार-ए-आलम हम भी देखेंगे
ज़रा दम लो मआल-ए-शौकत-ए-जम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जवाब-ए-जश्न-ए-जम है गर्मी-ए-हंगामा-ए-गुलशन
कि ले कर कश्ती-ए-मय तख़्त परियों के उतरते हैं
नज़्म तबातबाई
नज़्म
पुतलियाँ दोनों तिरी आँखों में दो नीलम लगे
और तिरी आँखों का पानी मुझ को जाम-ए-जम लगे
जय राज सिंह झाला
नज़्म
तिरे दीवाँ को जाम-ए-जम समझते हैं जहाँ वाले
कहीं आँसू कहीं नग़्मे कहीं जल्वे जवानी के
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
ख़ुश्क अब अंगूर के शर्बत से तर होने लगे
हाथ सब के बढ़ रहे हैं साग़र-ए-जम के लिए
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
नज़्म
हर दौर में सर होते हैं क़स्र-ए-जम-ओ-दारा
हर अहद में दीवार-ए-सितम होती है तस्ख़ीर
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मुजस्सम शौकत-ए-दौराँ सरापा जाम-ए-जम भी हैं
जलाल-ए-बर्क़ भी हैं ज़ालिमों के वास्ते लेकिन