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नज़्म
उफ़ वो वारफ़्तगी-ए-शौक़ में इक वहम-ए-लतीफ़
कपकपाए हुए होंटों पे नज़र आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
हवा उस के बाज़ू पे लिक्खा हुआ कोई ता'वीज़ बाँधे तो कहना
कि आवारगी ओढ़ कर साँस लेते मुसाफ़िर
मोहसिन नक़वी
नज़्म
अपनी तनख़्वाहों के नाले में है पानी आध-पाव
और लाखों टन की भारी अपने जीवन की है नाव
जोश मलीहाबादी
नज़्म
उफ़ उन भीगी भीगी आँखों में दिल के अरमान
मोतियों जैसे दाँतों में वो गहरी सुर्ख़ ज़बान
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
उफ़ ये शबनम से छलकते हुए फूलों के अयाग़
इस चमन में हैं अभी दीदा-ए-पुर-नम कितने
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
उफ़ मिरी तिश्ना-लबी तिश्ना-लबी तिश्ना-लबी!
कच्ची कलियाँ तिरे होंटों की महक उठती थीं
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
मार ओ कजदुम के ठिकाने जिस की दीवारों के चाक
उफ़ ये रख़्ने किस क़दर तारीक कितने हौल-नाक