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नज़्म
लाख बैठे कोई छुप-छुप के कमीं-गाहों में
ख़ून ख़ुद देता है जल्लादों के मस्कन का सुराग़
साहिर लुधियानवी
नज़्म
सीनों से लग रही हैं जो हैं पिया की प्यारी
छाती फटे है उन की जो हैं बिरह की मारी