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नज़्म
ज़माना आया है बे-हिजाबी का आम दीदार-ए-यार होगा
सुकूत था पर्दा-दार जिस का वो राज़ अब आश्कार होगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तमतमाए हुए आरिज़ पे ये अश्कों की क़तार
मुझ से इस दर्जा ख़फ़ा आप से इतनी बेज़ार
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
देना भाई हाँ मुझे भी शाम का अख़बार एक
फिर किसी ठंडे लहू ने गर्म की होगी ख़बर
मिर्ज़ा मोहम्मद नय्यर
नज़्म
तेरे दम से फिर वतन वालों में पैदा हो हयात
पंजा-ए-अग़्यार से हो हिन्द को हासिल नजात
अल्ताफ़ मशहदी
नज़्म
रुख़्सत हुआ वो बाप से ले कर ख़ुदा का नाम
राह-ए-वफ़ा की मंज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम
चकबस्त ब्रिज नारायण
नज़्म
बे-शुमार आँखों को चेहरे में लगाए हुए इस्तादा है तामीर का इक नक़्श-ए-अजीब
ऐ तमद्दुन के नक़ीब!