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नज़्म
बहुत जंजाल हैं पर हो यहाँ तो ''या'' में और ''या'' में
तुम्हारी जो हमासा है भला उस का तो क्या कहना
जौन एलिया
नज़्म
वुसअतें मैदान की सूरज के छुप जाने से तंग
सब्ज़ा-ए-अफ़्सुर्दा पर ख़्वाब-आफ़रीं हल्का सा रंग
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ये शहर की चलती सड़कों पर हर सम्त दुकानें नूरानी
बिजली में भी जलता हो जैसे इफ़्लास के पत्ते का पानी
नुशूर वाहिदी
नज़्म
राद हूँ बर्क़ हूँ बेचैन हूँ पारा हूँ मैं
ख़ुद-प्रुस्तार, ख़ुद-आगाह ख़ुद-आरा हूँ मैं
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
वो आदमी कि सभी रोए जिन की मय्यत पर
मैं उस को ज़ेर-ए-कफ़न ख़ंदा-ज़न भी देखता हूँ