aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rah-rah"
आग सी सीने में रह रह के उबलती है न पूछअपने दिल पर मुझे क़ाबू ही नहीं रहता है
तुम्हें ख़ुद अपने आदर्शों में रह रह कर नज़र आए
अमरबेल पेड़ों की शाख़ों से जैसेवो रह रह के शाख़ों से जैसे
रह रह कर चमक उठेतब कौन है ये
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न करउम्मीद की झूटी जन्नत के रह रह के न दिखला ख़्वाब हमें
जिस में रह-रह भीगता हैमेरे सपनों का संसार
रह रह के सुझाता हैतू भूल गई मुझ को
पलट आया तो रस्ते में तुम्हारी खोज में निकलीमिरी आवाज़ रह रह कर
बहुत कहो तो हौले हौलेफ़र्श पे मारे रह रह ठोले
इंक़लाब ज़िंदाबादगूँजता है रह रह कर
अब इन ही चिंगारियों सेरह रह कर सुलग उठती है
तुम राख के उस ढेर में भीचंद चिंगारियाँ रह रह के दमकती देखो
मैं तुझे चाहता नहीं लेकिनफिर भी रह रह के मेरे कानों में
जमाल-ए-यार तिरे गुल्सिताँ की रह रह केजबीन-ए-नाज़ तिरी कहकशाँ की रह रह के
जो मिरे अंदर सेरह रह कर मुझे
इक दिन उस को सूझी शरारतरह रह कर उस ने चिल्लाया
चीता सोच की वादी में गुमरह रह कर हिलती जाए दुम
और जैसे रह रह करमेरे कान बजते हैं
दिल में रह रह कर उठती हैंसब कुछ इतना ही ताज़ा है
जब सूरत-ए-हाल समझता नहींउसे रह रह कर समझाना क्या
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