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झूट का नतीजा

हाफ़िज़ कर्नाटकी

झूट का नतीजा

हाफ़िज़ कर्नाटकी

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    अहमद बब्लू बाबू सलमा

    एक जमाअत के ये बच्चे

    अख़लाक़ी घंटे में देखो

    जम्अ हुए हैं इक इक कर के

    नज़्म-ओ-ज़ब्त जमाअत में था

    उफ़ नहीं करता था कोई बच्चा

    ये जो कहानी का था घंटा

    सब को शौक़ कहानी का था

    देखो क्लास में उस्ताद आए

    उठ के खड़े हुए सारे बच्चे

    सब ने किया सलाम अब उन को

    बच्चे थे सब मन के अच्छे

    हम आवाज़ था हर इक बच्चा

    हम हैं कहानी के सब शैदा

    सब ने मिल कर किया तक़ाज़ा

    हम को सुनाइए अच्छा क़िस्सा

    सुन कर बच्चों से ये बातें

    हो गए ख़ुश उस्ताद इसी दम

    मुन्नू चुन्नू मन्नू ख़ुश थे

    क़ाबिल-ए-दीद है शौक़ का आलम

    टीचर ने जो छेड़ी कहानी

    बच्चे हमा-तन गोश हुए सब

    ख़ामोशी थी हर चेहरे पर

    सब से कहा ये टीचर ने अब

    एक पहाड़ी के दामन में

    क़र्या इक शादाब था बच्चो

    गाँव में इक चरवाहा भी था

    हाँ वो बहुत नादान था प्यारो

    रोज़ पहाड़ी पर वो जाता

    बकरियाँ अपनी ख़ुद ही चराता

    दिन भर हाँकता वो गले को

    शाम ढले घर वापस आता

    इक दिन उस को सूझी शरारत

    रह रह कर उस ने चिल्लाया

    लोगो आओ मुझ को बचाओ

    शेर ने बोला है अब धावा

    लट्ठे भाले बर्छियाँ ले कर

    भागे आए लोग बराबर

    पाया सलामत चरवाहे को

    कहने लगा चरवाहा हँस कर

    शेर यहाँ आया नहीं कोई

    यूँ ही शरारत मैं ने की थी

    शुक्रिया आप यहाँ सब आए

    आप की हमदर्दी है सच्ची

    मैं ने सब को यूँ ही परखा

    इम्तिहाँ आप की चाहत का था

    ख़ुश हूँ आप की हमदर्दी पर

    मैं ने प्यार सभों का पाया

    था ये कर्तब चरवाहे का

    उस ने उल्लू सब को बनाया

    मायूसी के साथ वो लौटे

    झूटा चरवाहे को पाया

    इज़्ज़त चरवाहे ने गँवाई

    अब के मुँह की उस ने खाई

    चरवाहे की नादानी पर

    दी क़र्ये वालों ने दहाई

    हरियाली का मौसम आया

    ग़ल्ले ने भी चारा पाया

    था मसरूर बहुत चरवाहा

    उस ने ख़ुशी का नग़्मा गाया

    उस ने अब मंज़र ये देखा

    शेर है ग़ल्ले में धमका

    घबरा कर फिर वो चिल्लाया

    देखो शेर ने कर दिया हमला

    गाँव में चीख़ें सुनीं लोगों ने

    एक मज़ाक़ उसे सब समझे

    आया कोई उस की मदद को

    पड़ गए जान के लाले देखो

    शेर का बन गया बच्चो निवाला

    चरवाहे का सारा गिला

    फिर चरवाहे पर हुआ जो हमला

    ख़ात्मा हो गया चरवाहे का

    शब का हुआ गहरा सन्नाटा

    चरवाहा अब घर नहीं आया

    उस की माँ बहनें थीं परेशाँ

    बढ़ गया उन पर ख़ौफ़ का साया

    दूसरे दिन का सूरज निकला

    गाँव में चरवाहे का था चर्चा

    सब ने पहाड़ी पर जा देखा

    ग़म था पता अब चरवाहे का

    क़िस्सा ख़त्म हुआ ये बच्चो

    तुम हो क्यूँ ग़मगीं ये बोलो

    चरवाहे की फ़िक्र को छोड़ो

    चरवाहे से सबक़ ये सीखो

    झूट से जान गई थी उस की

    बात हमेशा कहना सच्ची

    मानो झूट बला है बच्चो

    उस से हमेशा बच कर रहियो

    झूट से जान भी जा सकती है

    झूट तो इक अंधी शक्ति है

    झूट गुनाह है जानो बच्चो

    दोज़ख़ मिलती है झूटों को प्यारो

    छोड़ो शरारत सारी छोड़ो

    सच्चाई को बस अपनाओ

    स्रोत :
    • पुस्तक : Gagar me.n Sagar (पृष्ठ 19)
    • रचनाकार : Gagar me.n Sagar
    • प्रकाशन : Farid Book Depot (Pvt.) Ltd

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