aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दिल से जो बात निकलती है असर रखती हैपर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
कौन वो लोग थे अब याद नहीं आता हैफेंक आए थे मुझे यूसुफ़-ए-कनआँ की तरह
लो पौ फटी वो छुप गई तारों की अंजुमनलो जाम-ए-महर से वो छलकने लगी किरन
हुआ ख़ेमा-ज़न कारवान-ए-बहारइरम बन गया दामन-ए-कोह-सार
नहीं मिन्नत-कश-ए-ताब-ए-शुनीदन दास्ताँ मेरीख़मोशी गुफ़्तुगू है बे-ज़बानी है ज़बाँ मेरी
मैं ने तन्हा कभी उस को देखा नहींफिर भी जब उस को देखा वो तन्हा मिला
अलस्सबाह कि थी काएनात सर-ब-सुजूदफ़लक पे शोर-ए-अज़ाँ था ज़मीं पे बाँग-ए-दुरूद
ऐ शम-ए-'जोश' ओ मशअ'ल-ए-ऐवान-ए-आरज़ूऐ मेहर-ए-नाज़ ओ माह-ए-शबिस्तान-ए-आरज़ू
मेरे वतन, प्यारे वतनराहत के गहवारे वतन
ऐ मजाज़ ऐ तराना-बार मजाज़ज़िंदा पैग़म्बर-ए-बहार मजाज़
दयार-ए-हिन्द था गहवारा याद है हमदमबहुत ज़माना हुआ किस के किस के बचपन का
ऐ मिरी उम्मीद मेरी जाँ-नवाज़ऐ मिरी दिल-सोज़ मेरी कारसाज़
तिलिस्म-ए-सौत जिस का नाम था फिर वो गुफा आईथकन की नींद जैसी गुनगुनाती झूमती
ऐ सिपहर-ए-बरीं के सय्यारोऐ फ़ज़ा-ए-ज़मीं के गुल-ज़ारो
ज़ईफ़ी की शिकन-आलूद चादर से बदन ढाँपेवो अपनी नौजवाँ पोती के साथ
तुम से सिर्फ़ एक बार जन्मी गई हूँमगर तुम तो आज तक
हर तरफ़ है सन्नाटाहर तरफ़ है वीराना
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