
ग़ुस्सा जितना कम होगा उस की जगह उदासी लेती जाएगी।

ग़ुस्सा आदमी में सारी ज़िंदगी मौजूद होता है मगर पोशीदा रहता है। लेकिन अगर हर दिन के ख़ात्मे पर उसे ज़ाहिर होने का मौक़ा' दिया जाये तो एक दिन ऐसा आएगा कि आदमी ग़ुस्से और नफ़रत से पूरी तरह ख़ाली हो जाएगा।
ग़ुस्सा जितना कम होगा उस की जगह उदासी लेती जाएगी।
ग़ुस्सा आदमी में सारी ज़िंदगी मौजूद होता है मगर पोशीदा रहता है। लेकिन अगर हर दिन के ख़ात्मे पर उसे ज़ाहिर होने का मौक़ा' दिया जाये तो एक दिन ऐसा आएगा कि आदमी ग़ुस्से और नफ़रत से पूरी तरह ख़ाली हो जाएगा।
Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi
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