aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
एक शहरी आदमी और एक किसान एक साथ सफ़र कर रहे थे। शहरी आदमी ने किसान से कहा आओ हम एक दूसरे से पहेलियाँ बूझवाते हैं जो पहेली ना बूझे उसे पाँच सौ रुपये देने पड़ेंगे। किसान बोला: नहीं जनाब! आप पढ़े लिखे हैं, आप पाँच सौ रुपये, दीजिएगा, मैं दो सौ रुपये दूँगा। शहरी
एक आदमी मेंढ़क पर तजरबा कर रहा था। उसने मेंढ़क को मेज़ पर रखा और उस के क़रीब जाकर ताली बजाई। मेंढ़क ज़ोर से उछला। उसने मेंढ़क की एक टांग काट दी। फिर उस के क़रीब जाकर ताली बजाई। मेंढ़क ज़रा सा उछ्ला और गिर पड़ा। अब उसने मेंढ़क की दूसरी टांग भी काट दी और क़रीब
एक साहब अपने एक दोस्त से पूछने लगे “आपके बड़े लड़के का नाम क्या है?” उन्होंने जवाब दिया “नफ़ीस करीम, छोटे लड़के का नाम रईस करीम।” पहले साहब ने बीच में टोक कर कहा “तो फिर आपकी बेटी का नाम यक़ीनन आइसक्रीम होगा।”
एक लड़का पार्क में साईकल चला रहा था। उस की माँ बड़े फ़ख़्र से उसे देख रही थी। पहले चक्कर में जब लड़का माँ के क़रीब से गुज़रा तो कहा देखिए “अम्मी हाथों के बग़ैर” दूसरे चक्कर में आवाज़ लगाई “देखिए अम्मी पैरों के बग़ैर।” तीसरे चक्कर में वो बड़ी देर बाद आया तो रोनी
उस्ताद ने बच्चों से पूछा। “तुम अठारहवीं सदी के साइंसदानों के मुतअल्लिक़ क्या जानते हो?” एक बच्चे ने जवाब दिया। “जनाब सब मर गए।”
एक बार एक आदमी ने मुल्ला जी से पूछा, आपकी उम्र क्या है? उन्होंने कहा, चालीस साल। बात आई गई हुई। कोई दस साल गुज़र गए। फिर किसी ने उनसे पूछा, आपकी उम्र क्या है? मुल्ला जी ने फिर वही जवाब दिया, चालीस साल। उस वक़्त उनके पास कुछ वो लोग भी खड़े थे जिन्होंने
लड़का: (हिसाब के टीचर से) जनाब हिन्दी के मास्टर साहब हिन्दी में, उर्दू के मास्टर साहब उर्दू में, और अंग्रेज़ी के मास्टर साहब अंग्रेज़ी में पढ़ाते हैं। फिर आप बिल्कुल हिसाब ही की ज़बान में क्यों नहीं पढ़ाते हैं? मास्टर साहब: ज़्यादा तीन-पाँच मत करो,
ख़ातून (फल फ़रोश से): तुम ने मेरे बेटे से दो किलो आमों के पैसे वसूल किए हैं। लेकिन जब मैं ने आमों का वज़न किया तो वो सिर्फ एक किलो निकले, फल फ़रोश: “मोहतरमा! ज़रा अपने बेटे को भी तौल कर देख लें”
बाजी: (पढ़ाते हुए) अच्छा ख़ालिद बताओ दो और तीन कितने होते हैं। ख़ालिद: पाँच बाजी: शाबाश! लो ये पाँच चॉकलेट ख़ालिद: (पछताते हुए) अगर मुझे ये मालूम होता तो बीस बताता बीस।
मुल्ला जी के एक पड़ोसी ने थोड़ी देर के लिए उनका गधा मांगा। मुल्ला जी अपना गधा देना नहीं चाहते थे। उन्होंने बहाना किया, गधा यहाँ नहीं है। उसी वक़्त मकान के पीछे से गधे के रेंकने की आवाज़ सुनाई दी। पड़ोसी ने शिकायत की, मुल्ला जी, आपने तो कहा था कि गधा नहीं
क्लास में दो लड़के शोर मचा रहे थे कि टीचर आगए। सज़ा के तौर पर टीचर ने दोनों को दो सौ-बार अपना नाम लिखने को कहा। एक लड़का लिखने लगा जबकि दूसरा रोने लगा। टीचर ने उस से रोने की वजह पूछी। जवाब मिला। “सर! उस का नाम सिर्फ़ नासिर है। जबकि मेरा नाम मोहम्मद
एक आदमी अपने घर के सामने मिट्टी में लोट-पोट हो रहा था। आख़िर दो तीन मोअज़्ज़िज़ीन ने उसे रोक कर पूछा। “तुम किस मुसीबत में मुब्तला हो?” उसने जवाब दिया। “तुम जाहिल क्या जानो। मैं उस फ़लसफ़े पर अमल कर रहा हूँ कि दाना ख़ाक में मिलकर गुल-ओ-गुलज़ार होता
एक आदमी डाक्टर के पास गया और बोला डाक्टर साहब मैं सोता हूँ तो ख़्वाब में बंदरों को फूटबॉल खेलता हुआ देखता हूँ। डाक्टर : ये दवा आज सोने से पहले खा लेना। आदमी : नहीं डाक्टर साहब आज नहीं। डाक्टर : क्यूँ आदमी : दरअसल आज उनका फाईनल मैच है।
उस्ताद: ‘नाक में दम करना’ को जुमले में इस्तिमाल करें। शागिर्द: अतीक़ को सांस लेने में तकलीफ़ हो रही थी, मौलवी साहब ने दुआ पढ़ कर नाम में दम कर दिया।
टीचर ने बच्चों को सिगरेट के नुक़्सानात बताने के लिए एक कीड़ा लिया और सिगरेट के धुएँ में रखा तो वो मर गया। टीचर (बच्चों से): आप ने इस से क्या सीखा? पप्पू: यही सीखा कि सिगरेट पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं ।
फुटबॉल के दो खिलाड़ी बातें कर रहे थे एक बोला। “मैं ने एक दिन फुटबॉल इतनी ऊँची फेंकी कि पूरे दो घंटे बाद वापस आई।” दूसरा बोला: ये तो कुछ भी नहीं है मैं ने एक दिन फुटबॉल इतनी ऊँची फेंकी कि वो दो दिन बाद वापस आई और उस के साथ एक पर्ची भी थी। जिस पर
बाप सो रहा था और उस के ख़र्राटे गूंज रहे थे। नन्हा बच्चा क़रीब ही खिलौनों से खेल रहा था। अचानक बाप ने करवट ली और ख़र्राटे बंद हो गए बच्चे ने बाप की तरफ़ देखा और चिल्लाया: “अम्मी। अम्मी जल्दी आओ। अब्बू का इंजन ख़राब हो गया है”
राहगीर: (रिक्शे वाले से रेलवे स्टेशन चलोगे? रिक्शे वाला: ज़रूर 50 रुपये लूँगा। राहगीर: 20 रुपये ले लो। रिक्शे वाला: 20 रुपये में भला कौन जाता है? राहगीर: आप पीछे बैठें मैं ले जाता हूँ।
बेटा (माँ से): अम्मी एक शख़्स को जिन का पर्स मिला है। माँ : तुम्हें कैसे पता चला वो जिन का पर्स है। बेटा: वो आदमी कह रहा था जिन का पर्स है, आ कर ले जाएँ।
फ़ैसल अपने दोस्त अफ़ज़ल से कहने लगा। “अरे दोस्त! तुम्हारे सर के बाल तो सफ़ैद हैं और मगर मूँछें क्यों काली हैं?” "जनाब! मूँछें तो सर के बालों से बीस साल बाद पैदा हुई थीं"। अफ़ज़ल ने जवाब दिया
बेटा: (बाप से) अब्बा जान आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगा। आप मुझे छुट्टी की दरख़्वास्त लिख दें। बाप: वो क्यूँ? बेटा: रात की बारिश से सड़कों पर बहुत कीचड़ है। बाप: लेकिन दरख़्वास्त देने कौन जाएगा। बेटा: वो तो मैं ख़ुश्क ख़ुश्क रास्ता देख कर स्कूल
जुग़राफ़िया मास्टर: राम नाथ ज़मीन गोल है इस की तीन दलीलें दो। राम नाथ: (खड़े हो कर किताब में लिखा है। आप भी कहते हैं कि ''ज़मीन गोल है'' और मैं भी आपकी राय से इत्तिफ़ाक़ करता हूँ। (गोया इन तीनों के मानने को उसने तीन दलीलें क़रार दीं)
उस्ताद : क्यूँ कहा जाता है कि शीशे के मकान में बैठ कर पत्थर नहीं मारने चाहिए। शागिर्द : इस तरह सबको पता लग जाता है कि पत्थर कौन मार रहा है।
एक मर्तबा मुल्ला जी गधे पर तरकारी लाद कर बेचने के लिए निकले। जब वो आवाज़ लगाते तो गधा भी साथ साथ रेंकता और उनकी आवाज़ सुनाई न देती। वो एक सड़क पर पहुंचे जहाँ बहुत बड़ा मजमा था। उन्होंने बहुत ज़ोर से सदा लगाई और गधा भी उनके साथ साथ इतने ज़ोर से रेंका कि उनकी
बच्चा: अब्बा जान, मैं हमीद के साथ खेलने जाऊँ? अब्बा: नहीं, वो बहुत शरारती है। बच्चा: फिर मैं उस से लड़ने जा रहा हूँ!
एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन बकरी का गोश्त लेकर आए और बीवी को जल्दी से पकाने की हिदायत कर के वापस चले गए। बीवी ने गोश्त पकाया। इतने में उनकी दो सहेलियाँ आ गईं। बीवी ने उन्हें खाना खिलाया और ख़ुद भी खाया। सारा गोश्त ख़त्म हो गया। मुल्लाजी वापस आए तो उनके सामने
बाराती घोड़ा एक घोड़ा जब चलते चलते रुक जाता तो कोचवान उतर कर उस के सामने गाना गाता। गाना सुनकर घोड़ा फिर चलने लगता। आख़िर तंग आकर ताँगे में बैठी हुई सवारी ने कोचवान से पूछा। “भई ये क्या क़िस्सा है। तुम्हारा घोड़ा गाना सुनकर क्यों चलता है?” कोचवान
दो चोर किसी मकान में जा घुसे। उनमें से एक ज़रा अक़्लमंद था। अंधेरे में इस की किसी चीज़ से टक्कर हो गई। मालिक मकान जाग उठा और पूछा कौन। अक़्लमंद चोर ने बिल्ली की आवाज़ बना कर कहा "मियाऊँ" मालिक समझा सच-मुच बिल्ली होगी। इत्तिफ़ाक़ से दूसरे साहिब भी किसी चीज़
एक चोर मकान में दाख़िल हुआ। तिजोरी पर लिखा था “बटन दबाईए” चोर ने बटन दबाया तो सायरन बज उठा और चोर पकड़ा गया। वो अदालत में पेश किया गया। जज ने चोर से कहा: “तुम अपनी सफ़ाई में कुछ कहना पसंद करोगे।” चोर ने उदास लहजे में कहा: “में इस से ज़्यादा और कुछ
एक सय्याह किसी गाँव में गया वहाँ एक देहाती से पूछा। यहाँ किसी ने अपना नाम रौशन किया है। नहीं जनाब यहाँ तो अभी तक बिजली नहीं आई
जब अल्लामा इक़बाल की उम्र ग्यारह बरस की थी और वो स्कूल में पढ़ते थे तो एक दिन उनको स्कूल पहुंचने में देर हो गई। मास्टर साहब ने पूछा। “इक़बाल देर से क्यों आए?” अल्लामा इक़बाल ने बे-साख़्ता जवाब दिया। “इक़बाल देर ही में आता है।”
अरशद: मैं बचपन में बहुत ताक़तवर होता था। आमिर: वो कैसे? अरशद: मेरी अम्मी कहती हैं कि बचपन में, मैं जब रोता था तो सारा घर सर पर उठा लेता था।
उस्ताद ने अपनी क्लास के तमाम तालिबइल्मों से 'हमारा कुत्ता मौज़ू पर एक मक़ाला लिखने को कहा। बाद में जब उस्ताद कापियाँ जांचने लगे तो उन्होंने देखा कि अहसन और अमजद दोनों भाईयों का मज़मून हर्फ़-ब-हर्फ़ एक जैसा है। उस्ताद ने दोनों को बुला कर कहा: ''तुम
उस्ताद (शागिर्द से): पानी पानी होना का जुमला बनाओ। शागिर्द (मासूमियत से) : मैं ने बर्फ़ का टुकड़ा धूप में रखा तो वो पानी पानी गया।
कंजूस की झक कंजूस: अपने मेहमान से। क्यों भाई दूध पियोगे या शर्बत। मेहमान: दूध ले आओ। कंजूस: कप में या गिलास में। मेहमान: गिलास में ले आओ। कंजूस: गिलास शीशे का हो या स्टेन लेन स्टील का। मेहमान: शीशे का। कंजूस: गिलास सादा हो या फूलदार। मेहमान:
गाहक: इस भैंस की क़ीमत दस हज़ार बहुत ज़्यादा है इस की तो एक आँख भी नहीं है। मालिक: आपको इस का दूध दूहना है या इस से कशीदाकारी करानी है।
एक बच्चा टार्च से किताब पर रौशनी डाल रहा था। माँ ने देखकर पूछा। “ये तुम किताब पर रौशनी क्यों डाल रहे हो?” बच्चे ने जवाब दिया। “अम्मी किताब में लिखा हुआ है कि इस मज़्मून पर रौशनी डालिए।”
एक साहब अशरफ़ नामी ने अशरफ़ नगर से अपनी बीवी शरीफन को अशरफ़ी भेजी। नौकर : सरीफन बीवी को असरफ बाबू ने असरफी भेजी है। बीवी : अरे मूए कहीं तो शीन बोला होता। नौकर: शब को शलाम कहा है।
उस्ताद (शागिर्द से) बुत-परस्त किसे कहते हैं? शागिर्द: बुतों की पूजा करने वाले को। उस्ताद: शाबाश! अच्छा ये बताओ सर-परस्त किसे कहते हैं? शागिर्द: सर की पूजा करने वाले को।
एक चोर किसी के घर में चोरी की नीयत से दाख़िल हुआ और मालिक मकान के तकिए के नीचे से चाबियाँ तलाश करने लगा। मालिक की आँख खुल गई। कमरे में अंधेरा था। मालिक ने पूछा: “कौन है?” चोर ने मुँह से बिल्ली की आवाज़ निकाली “म्याऊँ।” मालिक ने फिर पूछा: “कौन
उस्ताद ने शागिर्द से पूछा: ‘‘तुम आज देर से स्कूल क्यों आए हो?’’ ‘‘सर मैं गिर गया था लग गई।’’ शागिर्द ने बताया। ‘‘क्या मतलब कहाँ गिर गए थे क्या लग गई।’’ उस्ताद ने फिर पूछा। ‘‘सर मैं बिस्तर पर गिर गया था और आँख लग गई थी’’ शागिर्द ने कहा।
जज: (मुल्ज़िम से) "तुमने इस आदमी के मुँह पर घूँसा क्यों मारा?" मुल्ज़िम: “जनाब इसने आज से दो साल पहले मुझे गैंडा कहा था।" जज: "अगर दो साल पहले कहा था तो अब मारने का क्या जवाज़ था?" मुल्ज़िम: "जनाब मैं ने आज ही गैंडा देखा है।"
उस्ताद (नादिर से) “पाँच फलों के नाम बताओ।” नादिर: “दो सेब, दो माल्टे और एक अमरूद।”
मास्टर: दुनिया में सबसे ज़्यादा जल्द बढ़ने वाली क्या चीज़ है। एक लड़का :मछली। मास्टर: ठीक है। लड़का अब्बा ने एक दफ़ा एक मछली पकड़ी थी और हर मर्तबा जब वो उसका ज़िक्र करते थे तो वो छः इंच बढ़ जाती थी। यानी एक दफ़ा अगर पकड़ी हुई मछली को छः इंच कहते
बेटा स्कूल से वापस आकर माँ से बोला: “अम्मी! अम्मी! देखिए तो मेरे सर पर क्या हैं?’’ माँ ने ग़ौर से देखकर कहा: “बेटे तुम्हारे सर पर तो सिर्फ बाल हैं।” “क्या सिर्फ बाल?” बेटे ने हैरत से पूछा माँ ने कहा : "हाँ भई सिर्फ और सिर्फ बाल हैं, इसके सिवा
लड़की (लड़की पप्पू से): मुझे बस इस जवाब का शुरू बता दो बाक़ी मैं ख़ुद लिख लूँगी?। पप्पू ने इधर उधर ध्यान से देख फिर धीरे से बोला: THE
उस्ताद (शागिर्द से) ‘‘बताओ! औरंगज़ेब आलमगीर की हुकूमत कहाँ तक थी?’’ शागिर्द: ‘‘जनाब! सफ़्हा नंबर 15 से सफ़्हा नंबर 18 तक''
उस्ताद (शागिर्द से): दस्तक को जुम्ले में इस्तिमाल करो। शागिर्द : जनाब मझे दस तक गिनती आती है।
साइंस के उस्ताद ने तलबा को दूध के उनवान पर मज़मून लिखने को कहा। मज़मून के बारे में उस्ताद ने हिदायत दी कि उसे कम-अज़-कम चार सफ़्हात पर मुश्तमिल होना चाहिए। एक शागिर्द ने थोड़ी देर बाद ही एक सफ़्हा लिख कर उस्ताद को दिखाया तो उस्ताद ने नाराज़गी से कहा। “नालायक़
बच्चा : माँ! क्या पीला रंग बहुत महंगा होता है। माँ : नहीं तो लेकिन बात क्या है। बच्चा : पड़ोसन वाली चची कह रही थीं कि बेटी के हाथ पीले करने में एक लाख रुपये लग गए।
You have exhausted 5 free content pages per year. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books