दिल पर नज़्में

दिल शायरी के इस इन्तिख़ाब

को पढ़ते हुए आप अपने दिल की हालतों, कैफ़ियतों और सूरतों से गुज़़रेंगे और हैरान होंगे कि किस तरह किसी दूसरे, तीसरे आदमी का ये बयान दर-अस्ल आप के अपने दिल की हालत का बयान है। इस बयान में दिल की आरज़ुएँ हैं, उमंगें हैं, हौसले हैं, दिल की गहराइयों में जम जाने वाली उदासियाँ हैं, महरूमियाँ हैं, दिल की तबाह-हाली है, वस्ल की आस है, हिज्र का दुख है।

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